दिवाली के समय बाजार में कई तरह के पटाखे आते हैं, जिनसे भयंकर ध्वनि और प्रदूषण उत्पन्न होते हैं।
इनसे होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए कई राज्यों की सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं।
कई राज्यों में प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों को बैन किया गया है, वहीं कुछ राज्यों में ग्रीन पटाखो की अनुमति है।
ग्रीन पटाखे दिखने और आवाज में पारंपरिक पटाखों की ही तरह होते हैं, बस यह सामान्य पटाखों से 40-50 प्रतिशत कम हानिकारक गैस पैदा करते हैं।
ग्रीन पटाखों में एल्युमिनियम, बैरियम, पौटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का प्रयोग नहीं किया जाता है।
साथ ही इनमें खतरनाक रसायनों की मात्रा काफी कम होती है, इसलिए इनसे प्रदूषण कम होता है।
ग्रीन पटाखों से 125 डेसिबल का ध्वनि प्रदूषण, जबकि सामान्य पटाखों से 160 डेसिबल का ध्वनि प्रदूषण होता है।
ग्रीन पटाखे परंपरागत पटाखों की तुलना में काफी महंगे होते हैं।