चुनाव आयोग देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कुछ नियम बनाता है, चुनाव आयोग के इन नियमों को आचार संहिता कहा जाता है।
आदर्श आचार संहिता पहली बार 1960 में केरल विधानसभा चुनावों में हुई।
चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तारीख की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है।
चुनाव की तारीख घोषित होते ही लागू हो जाता है और परिणाम घोषित होने तक जारी रहता है।
चुनाव से पहले अलग-अलग पार्टियां और उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाते थे, इसे देखते हुए चुनाव आयोग आचार संहिता लेकर आया।
आदर्श आचार संहिता में सत्ताधारी दल के लिए कुछ खास दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
आदर्श आचार संहिता को कानूनी रूप से लागू नहीं किया गया है, इसके तहत किसी को भी दंडित करने का प्रावधान नहीं है क्योंकि यह कानूनी रूप से लागू नहीं है।