भारतीय वायुसेना में लम्बे समय से सेवा दे रहे MIG-21 लड़ाकू विमानों की चार स्क्वाड्रनों में से एक इस साल 30 सितम्बर को रिटायर हो जायेगा।
भारतीय वायुसेना से मिग-21 के तीन और स्क्वाड्रंस रिटायर होने हैं। मिग-21 के बाकी तीन स्क्वाड्रनों को 2025 तक चरणबद्ध तरीके से सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा।
यह एक सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है, जिसका निर्माण सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो ने किया है।
मिग-21 को भारतीय वायुसेना में 1963 में शामिल किया गया था, उस वक्त का यह सबसे उन्नत किस्म का लड़ाकू विमान था। इसलिए भारत ने कुल 874 मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था।
इनमें से अधिकतर विमानों का निर्माण भारत में किया गया। हालांकि अब इसका निर्माण बंद किया जा चुका है। भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इसे लाइसेंस के तहत अपग्रेड करती है।
2012 में तत्कालीन रक्षामंत्री के अनुसार वायु सेना में शामिल होने के बाद से 2012 तक 482 मिग-21 विमान हादसे के शिकार हो चुके थे। इन हादसों में 171 पायलट, 39 आम नागरिक और आठ अन्य की मौत हुई थी।
2012 के बाद 2013 में दो, 2014 में तीन, 2015 में दो, 2016 में तीन, 2018 में दो, 2019 में तीन, और 2022 में राजस्थान के बाड़मेर में मिग-21 क्रैश हुआ था, जिसमें दोनों पायलटों की मृत्यु हो गई थी।
2021 में मिग-21 के 5 विमान हादसे का शिकार हुए हैं। वायुसेना में शामिल होने के बाद से मिग-21 के सैकड़ों विमान क्रैश हो चुके हैं। यही कारण है, इसे उड़ता ताबूत भी कहा जाता है।
मिग-21 लड़ाकू विमान के एक यूनिट की कीमत करीब 177 करोड़ रुपए है। जब इसका निर्माण शुरू हुआ तब इसकी कीमत तकरीबन 20 करोड़ रुपए (29 लाख डॉलर) थी।
विंग कमांडर (अब ग्रूप कैप्टन) अभिनंदन ने 2019 में इसी फाइटर प्लेन से पाकिस्तान के F-16 फाइटर को मार गिराया था।