भारत में रेल का इतिहास 160 साल से भी ज्यादा का है। भारत का रेल नेटवर्क लगभग 1.2 लाख किलोमीटर है।
भारत 1.2 लाख किलोमीटर रेल नेटवर्क के जरिए दुनिया के चौथे स्थान पर और एशिया के दूसरे स्थान पर आता है।
आज आजाद भारत में कुछ ऐसी ट्रेने हैं जो ब्रिटिश काल के यादों को समेटे हुए पटरियों पर लगातार दौड़ रही हैं।
पंजाब मेल 1 जून 1912 को पहली बार पटरी पर दौड़ी। आजादी से पहले यह ट्रेन लोगों को बॉम्बे से पेशावर तक यात्रा करने में मदद करती थी।
फ्रंटियर मेल की शुरुआत 1 सिंतबर 1928 को हुई थी, इस ट्रेन ने अविभाजित भारत के युग को देखा है। सितंबर 1996 में फ्रंटियर मेल का औपचारिक रूप से नाम बदलकर 'गोल्डन टेम्पल मेल' कर दिया गया है।
ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस भारत की सबसे पुरानी ट्रेनों में से एक है। 1929 में शुरु हुई यह ट्रेन पेशावर से मैंगलोर तक चली और इसमें लगभग 104 घंटे लगते थे, जो सबसे लंबे रेल मार्गों में से एक था।
बॅाम्बे पूना मेल ने अपनी पहली यात्रा 1869 में शुरु की थी। यह मुंबई और पुणे के बीच शुरू हुई पहली इंटरसिटी ट्रेन थी।
कालका मेल वर्तमान में भारतीय रेल के इतिहास में सबसे पुरानी ट्रेन है। इसने इस साल अपनी 156 साल की यात्रा पूरी की और अभी भी लगातार पटरी पर दौड़ रही है।
ये ऐतिहासिक ट्रेनें भारत के लिए चमत्कार मानी जाती हैं, जिन्होंने अतीत से वर्तमान और भविष्य में भी विरासत को आगे बढ़ाया। क्योंकि वर्षों की संख्या उनकी उत्पत्ति की तारीख को जोड़ती रहती है।