यह बीमारी रेबीज नामक विषाणुओं से फैलती है, मुख्यतः यह पशुओं में पाई जाती है। यह विषाणु पशुओं की लार में होता है।
यह विषाणु पशुओं के काटने से मनुष्य के शरीर में फैलता है। मुख्य रूप से इसके लक्षण 1-3 महीनों में दिखाई देते हैं।
संक्रमित जानवरों के काटने से इसका संक्रमण फैलता है। अधिकतर मामलों में मनुष्यों में यह बीमारी कुत्ते के काटने या खरोंचने से भी होती है। इसके अलावा बिल्ली और बंदरों के काटने से भी हो सकती है।
इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं, अचानक से दर्द होना, थकावट, सिरदर्द, बुखार, चिड़चिड़ापन, मांसपेशियों में खिंचाव आदि।
इस समस्या में लार अधिक बनने लगती है और मुंह में झाग बनने लगता है।
इससे बचाव के लिए टीके लगाए जाते हैं। कुत्ता पालने के बाद समय-समय पर उसका वैक्सीनेशन कराना जरूरी होता है।
कुत्ते के यदि नियमित अंतराल पर वैक्सीन लगवा रहे हैं, तो रेबीज की समस्या से बचे रहेंगे।
अगर कुत्ता काट ले तो उस स्थान की सफाई करें और फिर 24 घंटे के अंदर इंजेक्शन लगवा लें। इसके 4-5 इंजेक्शन अवश्य लगवाएं।ॉ
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