कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 'मोदी सरनेम' टिप्पणी मामले में उनकी संसद की सदस्यता रद्द कर दी गई है लेकिन कांग्रेस पार्टी में राहुल से पहले इंदिरा गांधी को भी लोकसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था।
राहुल गांधी की दादी और देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को एक बार नहीं, बल्कि दो बार लोकसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी थी। पहली बार साल 1975 में और दूसरी बार 1978 में।
इंदिरा गांधी द्वारा पहली बार संसद की सदस्यता गंवाने वाले मामले को राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी के नाम से जाना जाता है। वहीं, कानून में इसे उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राजनारायण के नाम से जाना जाता है।
1971 में पूर्व पीएम ने रायबरेली से चुनाव लड़ा था, उनके प्रतिद्वंद्वी जनता दल के राजनारायण थे लेकिन वह चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए इंदिरा के खिलाफ केस किया था।
राजनारायण के मामले में सुनवाई करते हुए 4 साल बाद इलाहाबाद HC ने चुनाव में धांधली के मामले में इंदिरा गांधी को दोषी करार दिया। जिसके बाद उनकी सासंदी को रद्द कर दिया था।
साल 1975 में संसद की सदस्यता गंवाने के बाद साल 1978 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने दोबारा लोकसभा की सदस्यता गंवा दी थी। दूसरी घटना मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी की सरकार के दौरान हुई थी।
आपातकाल के बाद 1977 में कांग्रेस की हार हुई थी। बाद में 1978 में कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट से उपचुनाव जीत कर इंदिरा लोकसभा पहुंची थीं लेकिन जनता पार्टी सरकार ने पूर्व पीएम के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
जनता दल ने इंदिरा गांधी पर PM रहते हुए सरकारी अधिकारियों का अपमान करने और कार्यालय के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। जांच में उन पर लगे सभी आरोप सही साबित हुए। इसके बाद सदन ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी।