शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के पंचम स्वरूप स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है।
मां ममता की सागर होती हैं। अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है।
अगर आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पाना चाहते हैं, तो इस दिन पूजा के समय इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्। सिंहारूढाचतुर्भुजास्कन्धमातायशस्वनीम्॥
धवलवर्णाविशुद्ध चक्रस्थितांपंचम दुर्गा त्रिनेत्राम। अभय पदमयुग्म करांदक्षिण उरूपुत्रधरामभजेम्॥
पटाम्बरपरिधानाकृदुहज्ञसयानानालंकारभूषिताम्। मंजीर हार केयूर किंकिणिरत्नकुण्डलधारिणीम।।
प्रभुल्लवंदनापल्लवाधरांकांत कपोलांपीन पयोधराम्। कमनीयांलावण्यांजारूत्रिवलींनितम्बनीम्॥
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