नवरात्र के दौरान मां के नौ अवतारों की पूजा होती है। नवरात्र का सातवां दिन मां काली को समर्पित है। इस दिन साधक देवी काली की पूजा करते हैं।
महाकाली को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग पूजा विधि और मंत्र बताए गए हैं। जो बेहद शुभ माने जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
इस दौरान अगर मां के कवच का पाठ किया जाए, तो मां अपने भक्तों के शत्रुओं का अंत करती हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
काली पूजा श्रुता नाथ भावाश्च विविधाः प्रभो । इदानीं श्रोतु मिच्छामि कवचं पूर्व सूचितम् ॥ त्वमेव शरणं नाथ त्राहि माम् दुःख संकटात् । सर्व दुःख प्रशमनं सर्व पाप प्रणाशनम् ॥
सर्व सिद्धि प्रदं पुण्यं कवचं परमाद्भुतम् । अतो वै श्रोतुमिच्छामि वद मे करुणानिधे ॥ रहस्यं श्रृणु वक्ष्यामि भैरवि प्राण वल्लभे । श्री जगन्मङ्गलं नाम कवचं मंत्र विग्रहम् ॥
पाठयित्वा धारयित्वा त्रौलोक्यं मोहयेत्क्षणात् । नारायणोऽपि यद्धत्वा नारी भूत्वा महेश्वरम् ॥ योगिनं क्षोभमनयत् यद्धृत्वा च रघूद्वहः । वरदीप्तां जघानैव रावणादि निशाचरान् ॥
यस्य प्रसादादीशोऽपि त्रैलोक्य विजयी प्रभुः । धनाधिपः कुबेरोऽपि सुरेशोऽभूच्छचीपतिः । एवं च सकला देवाः सर्वसिद्धिश्वराः प्रिये ॥
ॐ श्री जगन्मङ्गलस्याय कवचस्य ऋषिः शिवः । छ्न्दोऽनुष्टुप् देवता च कालिका दक्षिणेरिता ॥ जगतां मोहने दुष्ट विजये भुक्तिमुक्तिषु । यो विदाकर्षणे चैव विनियोगः प्रकीर्तितः ॥
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