जब व्यक्ति के जीवन में शनि की दशा यानी साढ़ेसाती या ढैय्या शुरू होती है तो उसे उसके किए गए कर्मों का फल प्राप्त होता है। उनको शनि पीड़ा से गुजरना पड़ता है।
शनि की वक्र दृष्टि से कोई नहीं बच पाया। शनि की दृष्टि पीड़ा से बचने के लिए कई उपाय है। आइए ऐसे ही एक उपाय के बारे में बताएंगे।
एक्सपर्ट के मुताबिक शनि की पीड़ा से बचने के लिए सबसे आसान उपाय पिप्लाद मुनि द्वारा रचित शनि स्तोत्रं का पाठ करना है।
शनिवार के दिन आप किसी शनि मंदिर में जाएं और शनि महाराज को नीले फूल, सरसों का तेल, नीले या काले वस्त्र, फल, शमी के फूल, काला तिल आदि अर्पित करें।
इसके बाद पिप्लाद मुनि का स्मरण करें और उनसे शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें। उसके बाद पिप्लाद शनि स्तोत्रं का पाठ प्रारंभ करें।
आप चाहें तो पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भी पिप्लाद शनि स्तोत्रं का पाठ कर सकते हैं. यदि आपके पास समय हो तो इसके साथ राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र भी पढ़ सकते हैं।
य: पुरा नष्टराज्याय, नलाय प्रददौ किल। स्वप्ने तस्मै निजं राज्यं, स मे सौरि: प्रसीद तु।।
केशनीलांजन प्रख्यं, मनश्चेष्टा प्रसारिणम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं, नमस्यामि शनैश्चरम्।।
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