पिछले कई वर्षों से डिजिटल पेमेंट करने का चलन काफी तेजी से बढ़ा है।
हालांकि डिजिटल पेमेंट के चलन के बाद क्रेडिट कार्ड की जानकारियां लीक होने और ठगी का खतरा भी काफी बढ़ा है।
लेकिन 1 अक्टूबर से रिजर्व बैंक की पहल के बाद "टोकनाइजेशन" की सुविधा शुरु होने जा रही है।
इसके तहत कार्ड जारी करने वाली कंपनी को छोड़कर कोई भी डाटा जैसे कार्ड नंबर, कार्ड की एक्सपायरी डेट आदि को स्टोर नहीं कर सकेगा।
अभी आमतौर पर ई-कॅामर्स कंपनियों से आनलाइन खरीदारी करते समय कॅार्ड सेव का ऑप्शन होता था।
टोकनाइजेशन सिस्टम के तहत ट्रांजैक्शन के समय एक टोकन जेनरेट होगा। इस टोकन के जरिए निजी जानकारी को साझा किए बिना पेमेंट किया जा सकता है।
टोकनाइजेशन का उपयोग अभी केवल आनलाइन/ई-कामर्स ट्रांजैक्शंस के लिए निर्धारित किया गया है।