हिंदू धर्म में सप्ताह के सात दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित होता है।
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। गुरुवार और पूर्णिमा के दिन श्रीसत्यनारायण की पूजा-उपासना की जाती है।
श्रीसत्यनारायण कथा का श्रवण से साधक के जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
अगर आप भी सभी संकटों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन श्रीसत्यनारायणाष्टकम् स्तोत्र का पाठ जरूर करें।
आदिदेवं जगत्कारणं श्रीधरं लोकनाथं विभुं व्यापकं शंकरम् । सर्वभक्तेष्टदं मुक्तिदं माधवं सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥१॥
आदिदेवं जगत्कारणं श्रीधरं लोकनाथं विभुं व्यापकं शंकरम् । सर्वभक्तेष्टदं मुक्तिदं माधवं सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥१॥
सर्वदा लोककल्याणपारायणं देवगोविप्ररक्षार्थसद्विग्रहम् । दीनहीनात्मभक्ताश्रयं सुन्दरम् श्रीसत्यनारायणाष्टकम् ॥२॥
वाञ्छितं दुर्लभं यो ददाति प्रभुः साधवे स्वात्मभक्ताय भक्तिप्रियः । सर्वभूताश्रयं तं हि विश्वम्भरं श्रीसत्यनारायणाष्टकम् ॥५॥
ब्राह्मणः साधुवैश्यश्च तुंगध्वजो येऽभवन् विश्रुता यस्य भक्त्यामराः । लीलया यस्य विश्वं ततं तं विभुं श्रीसत्यनारायणाष्टकम् ॥६॥