शिव की काशी में सोमवार को भव्य देव दीपावली मनाई गई, उत्तर वाहिनी गंगा के 84 घाटों पर अलंकृत दीपों की शृंखला भगवान शिव काशी के हार के समान स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
राम की नगरी अयोध्या में दीपावली के बाद शिव की काशी में भव्य देव दीपावली मनाई गई।
घाटों पर आरती और घंटा घड़ियाल के साथ देवताओं का स्वागत किया गया, प्रत्येक घाट पर देव दीपावली के अलग-अलग रंग बिखरा था, कहीं लेजर शो तो कही इलेक्ट्रिक आतिशबाजी देखने को मिली।
सूर्यास्त होते ही वाराणसी के 84 घाट जलते हुए दीयों से जगमगा उठे, मानो तारे धरती पर उतर आए हों, काशी के अर्धचंद्राकार घाटों पर एक साथ 15 लाख से अधिक दीयों का जलना एक अद्भुत दृश्य था।
दशाश्वमेध घाट पर इंडिया गेट की रेप्लिका बनी थी,यहां सेना के लोगों ने देश के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली मनाई जाती है, शिव पुराण में देव दीपावली का वर्णन मिलता है।
ऐसी भी मान्यता है कि काशी के राजा ने अपने शहीद सैनिकों के लिए घाटों पर दीप जलाने की प्रथा शुरू की थी।