ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में जब नकारात्मक भाव में कोई ग्रह विराजमान होता है, तब जातक के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इन सभी दोषों में शनि दोष सबसे दुखदाई माना जाता है।
शनि दोष के उत्पन्न होने से सभी कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है और स्वास्थ्य भी अनुकूल नहीं रहता है। साथ ही धन हानि होती है।
यदी व्यक्ति कि समय से पहले आंखें कमजोरी होने लगती हैं या कम उम्र में ही बाल झड़ने लगते हैं तो यह शनि दोष के लक्षण हो सकते हैं।
जिस व्यक्ति के मन में भगवान के प्रति आस्था कमजोर होने लगती है तो इसे भी शनि दोष के लक्षण माना जाता है।
स्वास्थ्य की बात करें तो जातक के सर में यदि अधिक दर्द रहता है और वह जरूरत से अधिक आलसी व्यवहार करता है तो यह भी शनि दोष के लक्षण हो सकते हैं।
इस दोष से मुक्ति के लिए शनिवार के दिन मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।