देवों के देव महादेव को समर्पित गुरु प्रदोष व्रत पर्व प्रतिमाह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
आज के दिन सृष्टि के रचयिता भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। गुरु प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
अगर आप भी महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आज पूजा के समय शिव प्रदोष स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
इस स्तोत्र के पाठ से साधक को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, शिव प्रदोष स्तोत्र का पाठ करें।
जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ॥१॥ जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ॥ जय नित्य निराधार जय विश्वम्भराव्यय ॥२॥ जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।
जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ॥३॥ जय कोठ्यर्कसङ्काश जयानन्तगुणाश्रय । जय भद्र विरूपाक्ष जयाचिन्त्य निरञ्जन ॥४॥ जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभञ्जन ।
जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ॥५॥ प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यतः । सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ॥६ ॥ महादारिद्र्यमग्नस्य महापापहतस्य च ॥
महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ॥७॥ ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभिः ॥ ग्रहैःप्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शङ्कर ॥८॥ दरिद्रः प्रार्थयेद्देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् ॥
अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद्देवमीश्वरम् ॥९॥ दीर्घमायुः सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नतिः ॥ ममास्तु नित्यमानन्दः प्रसादात्तव शङ्कर ॥१०॥ शत्रवः संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजाः ॥