दिल्ली की वो हवेली, जिसे आज भी लोग कहते हैं नमक हराम


By Farhan Khan03, May 2024 01:44 PMjagran.com

सात बार उजड़ी दिल्ली

दिल्ली कम से कम सात बार उजड़ी और दोबारा बसी। इसके सीने में तमाम किस्से दफन हैं। ये किस्से वफादारी के भी हैं और दगाबाजी के भी।

नमक हराम की हवेली

पुरानी दिल्ली के कूचा घसीराम गली में दगाबाजी का एक निशान आज भी मौजूद है। जो इसी गली में है, जिसे लोग नमक हराम की हवेली कहते है।

कैसे पड़ा नाम

ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इसका नाम नमक हराम की हवेली कैसे पड़ा और इसके पीछे की कहानी क्या है। आइए इसके बारे में जानें।

ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी

19वीं सदी की शुरुआत तक भारत की तमाम रियासतें, राजा-रजवाड़े ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी स्वीकार कर चुके थे।

यशवंतराव होलकर

कुछ रियासतें अब भी अंग्रेजों से लड़ रही थीं।  उनमें से एक थे इंदौर के नौजवान महाराजा यशवंतराव होलकर।

शंकर खत्री

यशवंतराव होलकर के वफादारों में भवानी शंकर खत्री नाम का शख़्स था। वक्त ऐसा पलटा की भवानी शंकर खत्री और होलकर के बीच अनबन हो गई।

अंग्रेजों से मिलाया हाथ

खत्री इंदौर छोड़ दिल्ली आ गया और उसने अंग्रेजों से हाथ मिला लिया। उसने अंग्रेजों को होलकर और मराठा सेना से जुड़ी तमाम खुफिया जानकारी दी।

मराठा को मिली हार

1803 में अंग्रेजों और मराठा सैनिकों के बीच करीब तीन दिन तक चली लड़ाई में अंग्रेज विजयी साबित हुए।

हवेली तोहफे में दी

खत्री की वफादारी से खुश होकर अंग्रेजों ने उसे चांदनी चौक में एक शानदार हवेली तोहफे में दे दी। जिसे बाद में नमक हराम के नाम से जाना गया।

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