बीते कुछ महीनों में सेम सेक्स मैरिज काफी चर्चा में रहा है। इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी, जिसमें कोर्ट का फैसला आ गया है।
इस विषय पर देश की शीर्ष कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार किया है। इस मामले की सुनवाई 5 जजों की बेंच कर रही थी।
इस मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि संसद को इस विषय पर अपना मत व्यक्त करना चाहिए और फैसला करना चाहिए।
इस मामले की आखिरी सुनवाई 11 मई को की गई थी और तब इसका निर्णय सुरक्षित रख लिया गया था। 5 जजों की इस बेंच की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों को इस बात का निर्देश दिया है कि समलैंगिक लोगों के यौन रुझान के प्रति किसी भी तरह का भेदभाव न किया जाए।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट को कानून बनाने का अधिकार नहीं है, कोर्ट कानूनों की व्याख्या करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साथी चुनना सभी के जीवन का महत्वपूर्ण फैसला है, एलजीबीटीक्यू समेत सभी समुदायों के लोगों को जीवन साथी चुनने का अधिकार है।
कोर्ट ने कहा कि समलैंगिकता कोई मानसिक बीमारी नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि यह केवल अर्बन एलीट तक ही सीमित है।
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