कई बार मरीज ठीक से बोल नहीं पाते, अपनी बातों को समझा नहीं पाते और तो और लिखे गए अक्षरों को पढ़ने-समझने में भी कठिनाई होती है।
उन लोगों ने नाम भूलना जिनसे आप अक्सर ही मिलते रहते हैं। चीज़ों को रखकर भूल जाना या गुमा देना। ये सारी परेशानियां आम हो जाती हैं।
मरीज के बिहेवियर में बदलाव दिखने लगता है, उनका मिजाज एकदम से बदल जाता है और वह अजीब तरीके से रिएक्ट करता है। वह उत्तेजित होकर लोगों के साथ बुरा व्यवहार भी कर सकते हैं।
शरीर पर कंट्रोल ना हो से मरीज को खाना बनाने में, ड्राइविंग के दौरान या अन्य दूसरे काम को करने में भी प्रॉब्लम हो सकती है।
यहां तक कि मरीज दिन, तारीख और समय भी भूल सकता है और जानी-पहचानी जगहें भी कई बार उसे याद नहीं रह जाती। कुछ मरीज तो अपना घर तक याद नहीं रख भी भूल सकते हैं।
मरीज की कई बार तर्क करने की क्षमता भी चली जाती है, वह ढेर सारे ऑप्शन्स के बीच डिसीज़न नहीं ले पाते।
इस बीमारी के कारण कई बार अक्षरों और अंकों को पहचानने में भी प्रॉब्लम हो सकती है।