कई बार ऐसा होता जब हम इमोशनल होते हैं और ऐसा लगता है कि खाने से मूल परेशानी को ठीक करने में मदद मिल जाएगी, तो यह केवल अस्थायी राहत है। क्योंकि बाद में इससे समस्या बढ़ सकती है।
हमारे हार्मोन सीधे हमारी भूख से जुड़े होते हैं, जब हम तनावग्रस्त होते हैं, तो हमारा कोर्टिसोल स्तर बढ़ जाता है और हमारी भूख भी बढ़ जाती है। इससे हम फैटी और ज्यादा कैलोरी वाले खाने का अधिक सेवन करने लग
कई बार जब हम बोर हो रहे होते हैं, तो हम लो फील करने लगते हैं। भोजन वैसे भी एक आंतरिक प्रतिक्रिया है क्योंकि इसके सेवन से हमें तृप्ती मिलती है और इस चक्कर में हम ज्यादा खा लेते हैं।
शराब को भूख बढ़ाने का एक कारण माना जाता है। हालांकि, एक या दो ड्रिंक से कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन ज्यादा ड्रिंक्स के बाद नमकीन या फैटी स्नैक्स लेने का मन करने लगता है, जिसके बाद लोग अधिक खा लेते है
एक संतुलित आहार आपके शरीर को अच्छी तरह से काम करने में मदद करता है। लेकिन, अगर आपको पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है, तो आपका शरीर भूख बढ़ाने वाला हार्मोन घ्रेलिन पैदा करता है।
एक अध्ययन के अनुसार, जब लोग किसी ऐसी गतिविधि में लगे होते हैं जब वो अपने डाइट पर नज़र नहीं रख पाते, तो इस दौरान वे बिना सोचे-समझे खाने लगते हैं। इसलिए खाते वक्त केवल खाने पर ध्यान देना चाहिए।
मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं और कई बार बातचीत को बढ़ावा देने के लिए भोजन एक बढ़िया विकल्प बन जाता है। इसलिए कोशिश करें कि बाहर जाने से पहले एक मिनी डाइट लेकर निकलें।
जानकारों का मानना है कि बार-बार भूख लगना हमारे शरीर में पौष्टिक आहार की कमी के कारण होता है। इसकी वजह से हम जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं और फिर अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।