भारतीय सभ्यता में मेहमान को भगवान का दर्जा दिया जाता है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि अतिथि देवो भव: यानि मेहमान भगवान का ही रूप होते हैं।
शास्त्रों व पुराणों में उनको भोजन कराने और आदर सत्कार के लिए कुछ नियम बताए गए हैं।
अगर इन नियमों का सही ढंग से पालन किया जाए तो इससे व्यक्ति के घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती।
शिव पुराण के अनुसार, जब भी मेहमान घर पर आएं तो सच्चे मन से उनका आदर-सत्कार करें।
मेहमानों को भोजन कराते समय कोई भी बुरा ख्याल आपके मन में नहीं आना चाहिए। साफ मन से मेहमान की सेवा करें।
अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे पितरों का भी आशीर्वाद आपके ऊपर बना रहता है। साथ ही देवी देवताओं की कृपा भी बरसती है।
अतिथियों को हमेशा दक्षिण या पश्चिम दिशा में बैठकर भोजन कराना चाहिए और खुद उत्तर दिशा की ओर बैठना चाहिए।
घर आए किसी भी अतिथि से हमेशा मीठी वाणी में बात करनी चाहिए। उन्हें अच्छा व स्वच्छ भोजन कराएं। टूटे या गंदे बर्तनों में मेहमानों को भोजन न दें।
घर आए हुए मेहमानों को सामर्थ्य के अनुसार कुछ उपहार जरूर देना चाहिए। खुशी से दिया गया उपहार हमेशा शुभ फल देता है और भाग्य में वृद्धि करता है।