राधा अष्टमी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 23 सितंबर को मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि जन्माष्टमी की पूजा राधा अष्टमी के बिना अधूरी होती है।
राधा जी का जन्म बरसाना में हुआ था। इस दिन राधा जी का जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन राधा जी का श्रृंगार किया जाता है।
इस दिन राधा जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन कुछ खास उपाय करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन राधा-रानी की पूजा के समय अष्टमुखी दीपक में इत्र डालकर प्रज्वलित करते हैं। ऐसा करने से पद-प्रतिष्ठा बढ़ती है और खूब मान-सम्मान मिलता है।
इस दिन से लेकर अगले 16 दिन तक राधा स्तोत्र और राधा सहस्त्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
बिजनेस में लाभ के लिए इस दिन घर में राधा जी की विधि-विधान से पूजा करें और फिर राधा जी को चांदी का सिक्का भी अर्पित करें।
इस सिक्के को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें, ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से बिजनेस में तरक्की मिलती होती है और आर्थिक तंगी दूर होती है।
जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही है वो राधा जी को लाल गुलाब के फूल अर्पित करें। ऐसा करने से विवाह की अड़चनें दूर होती हैं।
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