इंसानों की उम्र उसके जन्म वर्ष के आधार पर पता लगाई जा सकती है, लेकिन पौधे, मृत जानवर या पत्थर की उम्र का पता लगाना काफी कठिन होता है।
जीवाश्म अवशेषों का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग का प्रयोग किया जाता है।
कार्बन डेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो कि वस्तु में मौजूद कार्बन-14 की मात्रा का अनुमान लगाकर किसी वस्तु की उम्र बता सकती है।
हालांकि यह प्रक्रिया केवल उसी पदार्थ पर लागू होती है, जिसने वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त की हो।
कार्बन डेटिंग केवल उन चट्टानों पर कार्य करती है, जिनकी उम्र 50,000 साल से कम हो।
जैसे-जैसे पौधे, जानवर और मनुष्य मरते हैं, वे सिस्टम में कार्बन-14 के संतुलन को रोक देते हैं, क्योंकि कार्बन अब अब्सोर्ब नहीं हो पाता।
इस बीच, जमा हुआ कार्बन-14 क्षय खत्म होने लगता है और वैज्ञानिक आयु स्थापित करने के लिए फिर कार्बन डेटिंग की बची हुई मात्रा का विश्लेषण करते हैं।