पिछले काफी समय से EWS चर्चा का विषय बना हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानि EWS को 10 प्रतिशत आरक्षण देने को वैध करार दिया है।
केंद्र सरकार ने साल 2019 में 103 वें संविधान विधेयक के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा और नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है।
ईडब्ल्यूएस कोटे की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने की।
साल 2019 में लागू किए गए ईडब्ल्यूएस कोटा को तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके समेत कई याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान का उल्लंघन बताते हुए अदालत में चुनौती दी थी।
ईडब्ल्यूएस कोटा संशोधन का विरोध करते हुए इसे 'पिछले दरवाजे से' आरक्षण की मूल अवधारणा को खत्म करने का प्रयास बताते हुए संविधान का उल्लंघन बताया।
तत्कालीन अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल ने 103वें संविधान संशोधन विधेयक का बचाव करते हुए कहा था कि इसके जरिए दिया गया आरक्षण अलग है।
उन्होंने साफ किया कि ये सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 50 प्रतिशत कोटा से छेड़छाड़ किए बिना दिया गया है।