प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिलासपुर के लुहणू मैदान में रणसिंघा फूंक कर चुनावी विजयी का शंखनाद किया।
रणसिंघा एक पारंपरिक वायु वाद्य यंत्र है। वर्तमान में इसका प्रयोग सामाजिक व धार्मिक समारोह के शुभारंभ पर होता है।
यह देवी-देवताओं का मुख्य वाद्य यंत्र है। रियासतकाल के समय में इसका प्रयोग युद्ध क्षेत्र में रणभेरी के लिए होता था।
चुनाव चाहे बड़ा हो या फिर छोटा राजनीतिक दलों के लिए किसी युद्ध से कम नहीं होता है। यही कारण है नरेंद्र मोदी ने चुनाव अभियान की शुरुआत से पहले इसका प्रयोग किया।
रणसिंघा बनाने में एक कुशल कारीगर को 10 से 12 दिन का समय लगता है।
एक जोड़ी रणसिंघा, बनाने में पांच से छह किलो पीतल का प्रयोग होता है। यह छिद्र वाली दो मुड़ी हुई पीतल की नलियों से बनता है।
इसका कीप के आकार का मुख होता है। यह लंबवत स्थिति में पकड़कर बजाया जाता है। इसे बजाने के लिए विशेष कला चाहिए।