हर साल अक्टूबर के महीने में राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली और इसके आस-पास प्रदूषण की समस्या बढ़ने लगती है।
दिवाली से पहले खेतों में किसान पराली जलाने लगते हैं। जो कि प्रदूषण की समस्या को और गंभीर करते हैं।
जब धान जैसी किसी फसल की कटाई होती है और इसे जड़ से नहीं काटा जाता है। तो किसान बाद में इसे जला देते हैं।
पराली जलाना किसान के लिए सबसे तेज, सरल और सस्ता संसाधन है।
जब पराली जलाई जाती है, तो इससे काफी धुंआ उत्पन्न होता है और यही धुंआ आस-पास के राज्यों में प्रदूषण की समस्या बनता है।
पराली जलाना किसानों के लिए कोई नया नहीं है, बल्कि उनका यह परंपरागत तरीका बन गया है।
पराली जलने से कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसे निकलती हैं, जिनसे गंभीर वायु प्रदूषण होता है। इसका मानव स्वास्थ्य पर गंभीर असर भी होता है।