हिंदू धर्म में शुभ कार्य करते समय स्वास्तिक बनाया जाता है। इससे कई धार्मिक महत्व होता है। आइए जानते हैं कि शुभ कार्यों में स्वास्तिक क्यों बनाया जाता है?
घर में किसी भी काम को करते समय वास्तु के नियमों का पालन करना चाहिए। कई चिन्ह ऐसे होते हैं जिसे बनाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अक्सर आप देखे होंगे कि मांगलिक कार्यों में दीवार पर स्वास्तिक का चिन्ह बना होता है। ऐसा कहा जाता है कि बिना स्वास्तिक बनाए शुभ कार्य करने से फल नहीं मिलता है।
सनातन धर्म में इस चिन्ह का विशेष महत्व होता है। यह चिन्ह चारों दिशाओं में मंगल को आकर्षित करता है। इसके अलावा स्वास्तिक को सौभाग्य का सूचक माना जाता है।
शुभ कार्यों में स्वास्तिक बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होने लगती है और परिवार के सदस्य तरक्की करते हैं।
घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाना शुभ माना जाता है। इस जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके साथ ही मांगलिक कार्य भी शांति तरीके से पूर्ण होते हैं।
इसे बनाते समय रंग का विशेष ध्यान देना चाहिए। स्वास्तिक बनाते समय लाल और पीले रंग का उपयोग करना शुभ माना जाता है। स्वास्तिक को गले में भी धारण कर सकते हैं।
वास्तु दोष का समस्या का सामना कर रहे लोगों को मुख्य द्वार पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाना चाहिए। इससे वास्तु दोष से छुटकारा मिलता है।
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