सिख धर्म में गुरू नानक जयंती का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख धर्म के पहले गुरू नानक जी का जन्म हुआ था। इस दिन गुरू नानक जी का जन्मदिन विशेष हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस दिन को प्रकाशोत्सव और देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इस साल कार्तिक पूर्णिमा का मुहूर्त 26 नवंबर को शाम 3 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 27 नवंबर को 2 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इसलिए गुरू नानक जयंती 27 नवंबर को मनाई जा रही है।
गुरू नानक जी ने अपने जीवन में मानवता को सबसे ऊपर स्थान दिया और इसीलिए उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की।
गुरू नानक जी ने सदैव सत्य, मानवता और सामाजिक न्याय की वकालत करते रहे। ऐसा माना जाता है कि गुरू नानक जी ने ही लंगर प्रथा की शुरूआत की थी।
गुरूनानक जयंती 3 दिनों का बड़ा पर्व है। गुरूद्वारों में अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है और 48 घंटों तक आध्यात्मिक पुस्तक गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है।
गुरूनानक जयंती के 1 दिन पहले नगर कीर्तन जुलूस निकाला जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में अनुयायी शामिल होते हैं।
इस दिन सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरू ग्रंथ साहिब को पालकी में ले जाया जाता है और सुबर-सुबह आसा-दी-वीर गाते हैं।
इसके बाद दोपहर में लंगर की व्यवस्था की जाती है, जिसमें जरूरतमंद लोगों को भोजन कराया जाता है। इस तरह से सेवा-भाव से गुरूनानक जयंती मनाई जाती है।
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