आज तक आपने रेल की जितनी भी पटरी देखीं होगी उन सभी में आपको ये नुकीले पत्थर जरूर दिखे होंगे। इन पत्थरों को ट्रैक बैलेस्ट कहा जाता है। इन्हें पटरियों पर बिछाया जाता है।
ट्रैक बैलेस्ट रेलवे पटरियों की नींव होती है। जब रेल ट्रैक पर दौड़ती है तो तेज कंपन और काफी शोर होता है। यह ट्रैक की उचित सिधाई बनाए रखने के लिए स्लीपरों को सहायता देती है।
ट्रेन की पटरियों पर पड़ी ये ट्रैक बैलेस्ट ट्रेन के शोर को कम करते हैं और कंपन के समय ट्रैक के नीचे की पट्टी जिसे स्लीपर्स कहते हैं, उसको फैलने से भी रोकते हैं।
ट्रैक बैलेस्ट के उपयोग करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि यह रेलवे लाइनों को उचित सिधाई में रखता है और भारी ट्रेनों के मार्ग के लिए सहायता प्रदान करता है।
ट्रैक बैलेस्ट रेल की पटरियों पर वनस्पति नहीं उगने देते है क्योंकि उसके उगने से रेल की पटरियों की जमीन कमजोर हो सकती है। साथ ही, ये स्लीपर्स को मिट्टी में धंसने से भी बचाते हैं।
ट्र्रैक बैलेस्ट को नींव यूं ही नहीं कहा जाता है। यह रेल की पटरियों पर बरसात के पानी को सतह पर जमने नहीं देते और सीधे जमीन में भेज देते हैं।
ट्रैक बैलेस्ट के लिए सभी प्रकार के पत्थरों का उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसके लिए तेज धार वाले और नुकीले पत्थरों का उपयोग किया जाता है। यह पत्थर स्थिर होते हैं।
रेलवे ट्रैक पर नुकीले पत्थर लगाने का प्रमुख कारण यही है कि यह ट्रैक बैलेस्ट पटरियों को जकड़ कर रखते हैं और फैलने नहीं देते हैं।