भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा, अर्चना की जाती है।
भगवान श्रीकृष्ण को मोपरपंख बहुत प्रिय है। उनके सिर पर मोरपंख हमेशा विराजमान रहता है।
यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण को मोर मुकुट धारी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के हर रूप में मोरपंख जरूर देखने को मिलता है।
हम आपको बताएंगे कि भगवान श्रीकृष्ण क्यों सिर पर मोर पंख धारण करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण जी की कुंडली में कालसर्प योग था। सांप और मोर को एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। ॉ
कहा जाता है कि काल सर्प योग के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने सिर पर मोर पंख धारण किया था।
एक कहानी यह भी है कि जब श्रीकृष्ण बंसी बजा रहे थे तो राधा के साथ कुछ मोर भी वहां नृत्य कर रहे थे। नृत्य के दौरान मोर का पंख गिर गया, जिसे श्रीकृष्ण ने राधा का प्रेम प्रतीक समझकर धारण कर लिया।
कृष्ण जी के बड़े भाई बलराम जी शेषनाग जी के अवतार हैं, मोर और नाग को एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। श्रीकृष्ण ने मोरपंख धारण करके यह संदेश दिया कि शत्रुओं के लिए भी उनके मन में विशेष स्थान है।
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