शनिवार का दिन शास्त्रों में पूजनीय माना गया है। इस दिन कई देवी-देवताओं की पूजा होती है, जिसमें माता काली की भी शामिल है।
ऐसा कहा जाता है, जो भक्त मां काली को प्रसन्न करना चाहते हैं, वे इस दिन देवी की विशेष आराधना कर सकते हैं।
ऐसी मान्यता है कि मां काली अपने भक्तों पर तुरंत प्रसन्न हो जाती है और उनकी गुप्त शत्रुओं से रक्षा करती हैं साथ ही काली चालीसा का पाठ करना चाहिए।
जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार । महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥
प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ । तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ॥
अरि मद मान मिटावन हारी । मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥ अष्टभुजी सुखदायक माता । दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । कर में शीश शत्रु का साजै ॥ दूजे हाथ लिए मधु प्याला । हाथ तीसरे सोहत भाला ॥
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे । छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥ सप्तम करदमकत असि प्यारी । शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
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