लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चौराहों, अंडरपास आदि जगहों पर जेब्रा क्रॉसिंग बनी होती हैं।
जेब्रा क्रॉसिंग के जरिए वाहन चलाने वाले लोगों को पता होता है कि उन्हें कहां पर गाड़ी की स्पीड धीमी करनी है या रोकनी है।
जेब्रा क्रॉसिंग के नाम के पीछे काले और सफेद रंग की क्रॉसिंग के कारण देखने में ये जेब्रा प्रिंट जैसे लगता है। इसलिए इसे जेब्रा क्रॉसिंग कहा जाने लगा।
डामर से बनने वाली सड़कें काली होती हैं और उस पर सफेद धारियां जब प्रिंट की जाती हैं, तो वह कंट्रास्ट में दिखने लगती हैं।
सफेद धारियां काले रंग पर आसानी से दूर से दिखाई दे जाती हैं। हालांकि कई देशों में अपने हिसाब से क्रॉसिंग की डिजाइन या रंगो को बदल दिया जाता है।
जेब्रा क्रॉसिंग होने पर इसके कई नियम भी हैं, रेड सिग्नल होने पर वाहन चालकों को अपनी कार या बाइक सड़क पर बनी क्रॉसिंग से पीछे खड़ी करनी होती है।
पीली पट्टी को पार कर जेब्रा क्रॉसिंग पर वाहन खड़ा करने पर जुर्माना भी लग सकता है।