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राज्यमंत्री सबिना यास्मिन ने जताई आशंका, तोड़ा जा सकता है दार्जिलिंग मोड़ स्थित सिलीगुड़ी गेट

उत्तर बंगाल विकास विभाग की राज्यमंत्री सबिना यास्मिन कहती हैं कि यदि सिक्‍स लेन होता है तो सिलीगुड़ी गेट को गिराए जाने की संभावना बनी हुई है। गेट के भविष्य को लेकर चिंतन- मनन जारी है। वह इस विषय को देख रही हैं।

By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Tue, 05 Apr 2022 05:20 PM (IST)
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दार्जिलिंग मोड़ पर बना सिलीगुड़ी गेट। जागरण फाइल फोटो।
सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। दार्जिलिंग मोड़ क्षेत्र से होकर सिक्स लेन गुजरने वाली है। अगले वर्ष तक राष्ट्रीय राजमार्ग 31 का विस्तार कार्य शुरु हो जाएगा। ऐसे में दार्जिलिंग मोड़ स्थित सिलीगुड़ी गेट का भविष्य क्या होगा इसे लेकर चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि यदि सिक्‍स लेन होता है तो इसे गिराया जाना तय है। इस तरह की आशंका के बीच उत्तर बंगाल विकास विभाग की राज्यमंत्री सबिना यास्मिन कहती हैं कि यदि सिक्‍स लेन होता है तो सिलीगुड़ी गेट को गिराए जाने की संभावना बनी हुई है। गेट के भविष्य को लेकर चिंतन- मनन जारी है। वह इस विषय को देख रही हैं।

एक बार नहीं कई बार आईं मुश्किलें

बताते चले कि बालासन सेतु से लेकर सेवक मिलिट्री कैंप तक राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के विस्तार को हरी झंडी मिल चुकी है। इसके लिए केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्रालय से 995 करोड़ रुपए का फंड आवंटित हो चुका है। इस क्रम में कहीं सिक्‍स लेन तो कहीं फोर फोर लेन बनाया जाएगा। ऐसे में सिलीगुड़ी गेट के प्रभावित होने की प्रबल संभावना है। यही कारण है कि फिलहाल सिलीगुड़ी गेट का भविष्य अधर में लटक गया है। सिलीगुड़ी गेट तैयार करने को लेकर एक बार नहीं बल्कि कई बार जटिलताएं सामने आती रही हैं। एक समस्या गयी नहीं कि दूसरी समस्या दिखने लगती है। मेयर गौतम जब 2011 में उत्तर बंगाल विकास मंत्री बने थे तब गेट तैयार करने का निर्णय हुआ था। उनके कार्यकाल में गेट निर्माण का कार्य शुरु हुआ। उनके कार्यकाल में ही गेट निर्माण का कार्य तेजी से हुआ।

बदल गया गेट का डिजायन

इसके बाद रविन्द्र घोष उत्तर बंगाल विकास विभाग के मंत्री बनाए गए। उनके मंत्री बनते ही सिलीगुड़ी गेट का डिजायन बदल गया। इसमें काफी हद तक बदलाव किया गया। इसे पिरामिड का आकार दे दिया गया। गेट के उपरी हिस्से में कांच का प्रयोग किया गया। इसमें रंग- बिरंगे इलेक्ट्रिक बल्ब का उपयोग किया गया। गेट का बकायदा उदघाटन भी हुआ और कुछ महीनों तक सिलीगुड़ी के प्रवेशद्वार के तौर पर यह लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहा। लेकिन समय के साथ इसके लाइट खराब होते गए। धीरे धीरे सभी लाइट नष्ट हो गए। इसके बाद इसे ठीक भी किया गया। लेकिन पिछले एक साल से गेट में लगे लाइट नहीं जल रहे हैं। शहरवासियों का कहना है कि सिलीगुड़ी गेट का दुर्भाग्य है कि यह कभी भी संपूर्णतया का एहसास नहीं करा पाया। कुछ न कुछ समस्याएं इसके साथ लगी रही। यह गेट कब तैयार हुआ और कब बिना काम का हो गया पता ही नहीं चला।  इस बारे में मेयर गौतम देव कहते हैं कि गेट के दोनों किनारों पर काफी जगह छोड़कर रखा गया है ताकि राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के विस्तार होने पर गेट को गिराना न पड़े।

गेट का भविष्‍य अधर में

वहीं एक समय सिलीगुड़ी गेट के देखभाल की जिम्मेवारी सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट को देने पर उत्तर बंगाल विकास विभाग चिंतन- मनन कर रहा था, लेकिन वह भी नहीं हो सका। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के विस्तार के दौरान इस गेट का भविष्य क्या होगा। अगर यह बच जाता है तो बेहतर होगा, लेकिन अगर गिराया जाता है तो बड़ी धनराशि का नुकसान होगा।

बताते चले कि सिलीगुड़ी गेट का निर्माण कराने का मूल मकसद था सिलीगुड़ी शहर का सौंदर्यीकरण करते हुए इसे खास लुक देना। दार्जिलिंग मोड़ ही वह जगह है, जहां से लोग सिलीगुड़ी शहर में प्रवेश करते हैं।  नक्सलबाड़ी, खोड़ीबाड़ी, बागडोगरा समेत बिहार से आने वाले इसी रास्ते प्रवेश करते हैं। सिलीगुड़ी गेट को भव्य तरीके तैयार करने का लक्ष्य था, लेकिन कार्य में एकरुपता नहीं होने के कारण इसे बनने में करीब 10 साल लग गए और जब बनकर तैयार हुआ तो पहली नजर में यह अपूर्ण ही नजर आता है। हालांकि शहरवासियों की इच्छा है कि इसे बिना गिराए सिक्स लेन या फोर लेन तैयार हो तो बेहतर हो।

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