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North Bengal: नेपाल के सीमावर्ती मेची नदी पर तटबंध का कार्य अधूरा छोड़ा, किसानों को सता रही खेत डूबने की चिंता

सिंचाई विभाग की ओर से किसानों की मदद के लिए मेची रिवर प्रोटेक्शन स्किम की शुरुआत की गई है। आरोप है कि कार्य अधूरा छोड़कर सिचाई विभाग यहां से निकल गया है। इसके बाद किसान परेशान हैं कि इस बार फिर उनके घर खेत आदि डूब जाएंगे।

By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Wed, 15 Jun 2022 07:36 PM (IST)
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सिंचाई विभाग ने मेची नदी तटबंध का कार्य अधूरा छोड़ा। जागरण फोटो।

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। खोड़ीबाड़ी ब्लाक के मदनजोत से नक्सलबाड़ी ब्लाक के मानझा तक भारत - नेपाल के सीमावर्ती इलाके में मेची नदी के किनारे चार हजार मीटर लंबे तटबंध तैयार करने का कार्य हो रहा है। दिसंबर 2020 से तटबंध बनाने का कार्य शुरु हुआ है। मेची रिवर प्रोटेक्शन स्कीम के रुप में कार्य किया जा रहा है।  तटबंध पर पत्थर के जरिए पिच करते हुए 18 फुट लंबा रास्ता भी तैयार किया जा रहा है। इसके लिए 12 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। प्रत्येक वर्ष पहाड़ी मेची नदी का पानी सूरजवर, रकमजोत, बड़ मणिराम, छोट मणिराम सहित 14 मौजा के किसानों को प्रभावित करता है। उनके कई सौ बीघा जमीन पानी से डूब जाते हैं। उनके फसल तबाह हो जाते हैं। सिंचाई विभाग की ओर से किसानों की मदद के लिए मेची रिवर प्रोटेक्शन स्किम की शुरुआत की गई है। आरोप है कि कार्य अधूरा छोड़कर सिचाई विभाग यहां से निकल गया है।

पुराना बांध टूटा, नया बना नहीं

स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुराना बांध पिछले साल बारिश में टूट गया था। इसके चलते कृषि जमीन, श्मशान घाट व घर पानी में डूब गए थे। नया बांध तैयार नहीं हुआ तो एक बार फिर से किसान अपनी खेती नहीं कर पाएंगे। सिलीगुड़ी सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता सुनील ठाकुर कहते हैं कि कार्य को अधूरा छोडऩे की बात कहना गलत होगा। जितना कार्य निर्धारित था उतना किया जा चुका है। आवंटित फंड भी खत्म हो गया है। नए सिरे से बड़ा मणिराम इलाके में दो किलोमीटर बांध का प्रस्ताव दिया गया है। फंड आवंटित होते ही फिर से मेची रिवर प्रोटेक्शन स्कीम का कार्य शुरु होगा।

बताते चले कि मेची नदी पहाड़ी नदी है और इसके पानी से नक्सलबाड़ी ब्लॉक के बड़ मणिराम, किलाराम, झापूजोत इलाके प्रभावित हैं। प्रभावितों का कहना है कि बारिश के पहले तटबंध का कार्य पूरा होने से उन्हें राहत मिल गई होती, लेकिन बारिश आ चुकी है। एक बार फिर उन्हें परेशानी से जूझना होगा। यहां के लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द तटबंध तैयार करने का कार्य पूरा किया जाए।

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