'चौक' नहीं, हो 'मोड़' या 'सरणी' : बांग्ला पक्खो
-सिलीगुड़ी शहर के प्रमुख चौराहों के नाम परिवर्तन पर आपत्ति -जगहों के नाम
By JagranEdited By: Updated: Tue, 14 Jan 2020 08:59 PM (IST)
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-सिलीगुड़ी शहर के प्रमुख चौराहों के नाम परिवर्तन पर आपत्ति -जगहों के नामकरण में 'बांग्ला भावना' का ख्याल रखे जाने की मांग -नगर निगम में प्रदर्शन, डिप्टी मेयर को ज्ञापन, आंदोलन की चेतावनी
-कहा, 'चौक' बिहार-यूपी का सो बंगाल में नहीं चलेगा -यहां की संस्कृति का परिचायक 'मोड़' वही चाहिए जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
'बांग्ला पक्खो' (बांग्ला पक्ष) नामक संगठन ने सिलीगुड़ी के प्रमुख चौराहों के नाम परिवर्तन पर आपत्ति जताई है। उसे शहर के चौराहों के नामों में 'चौक' शब्द स्वीकार नहीं है। संगठन का कहना है कि 'चौक' की जगह 'मोड़' या 'सरणी' का उपयोग किया जाना चाहिए। 'चौक' बिहार व यूपी में प्रचलित हिदी का शब्द है और वहां की संस्कृति का परिचायक है। इसलिए यहां नहीं चलेगा। यहां बंगाल की बांग्ला संस्कृति के परिचायक 'मोड़' अथवा 'सरणी' का ही उपयोग किया जाना चाहिए। शहर के चौराहों के नाम परिवर्तन में सिलीगुड़ी नगर निगम को हर हाल में 'बांग्ला भावना' व 'बंगाल की भावना' का ख्याल रखा जाना चाहिए। इसलिए अविलंब परिवर्तित नामों में से 'चौक' को परिवर्तित कर उसे 'मोड़' अथवा 'सरणी' किया जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो 'बांग्ला पक्खो' संगठन जोरदार आंदोलन करेगा।
इस पूरे मामले को लेकर संगठन के सदस्यों की ओर से मंगलवार को सिलीगुड़ी नगर निगम में विरोध प्रदर्शन किया गया। इसके साथ ही डिप्टी मेयर रामभजन महतो को ज्ञापन देकर अविलंब परिवर्तित नामों को परिवर्तित किए जाने की मांग की गई। अन्यथा, जोरदार आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। संगठन की ओर से तुहीन भौमिक ने कहा कि हमें शहर के प्रमुख चौराहों के नाम परिवर्तन पर कोई आपत्ति नहीं है। मगर, उन नामों में जो 'चौक' शब्द का उपयोग किया गया है उस पर आपत्ति है। 'चौक' हिदी शब्द है। बिहार व उत्तर प्रदेश में प्रचलित है। वहां का परिचायक है। यहां बंगाल में बांग्ला भावना जरूरी है। यहां का परिचायक 'मोड़' अथवा 'सरणी' है। सो अविलंब नामों में से 'चौक' को परिवर्तित कर 'मोड़' या 'सरणी' किया जाए। अन्यथा, हम लोग जोरदार आंदोलन करने को मजबूर होंगे। इस मांग पर सिलीगुड़ी नगर निगम के डिप्टी मेयर रामभजन महतो ने कहा कि हमें ज्ञापन मिला है। उस पर विचार किया जाएगा। वैसे, यह नाम परिवर्तन कोई एक दिन में अचानक नहीं किया गया है। कई महीनों की प्रक्रिया के बाद ही यह हुआ है। नामकरण की सलाहकार समिति गठित हुई। उसने जमीनी कार्यवाही कर नाम प्रस्तावित किए। उन नामों को गत वर्ष 17 अक्टूबर को सर्कुलर जारी कर सार्वजनिक किया गया। उस पर दो सप्ताह के अंदर आम लोगों से सुझाव व आपत्ति आमंत्रित की गई। कुछेक सुझाव व आपत्ति मिली भी। उससे संबंधित नाम परिवर्तित नहीं किए गए हैं। जिन नामों पर कोई आपत्ति नहीं थी वही अब अंतिम रूप में लागू किए गए हैं। मगर, अब उस पर आपत्ति की जाने लगी है। जब लिखित रूप में दो सप्ताह का समय देकर आपत्ति आमंत्रित की गई तब कोई आपत्ति नहीं मिली और अब जब अंतिम रूप में लागू कर दिया गया है तो आपत्ति होने लगी है। खैर, इस बाबत अब नगर निगम बोर्ड ही कोई अंतिम निर्णय लेगा। उल्लेखनीय है कि आठ जनवरी 2020 को सिलीगुड़ी नगर निगम ने शहर के प्रमुख चौराहों के नाम परिवर्तन करने अधिसूचना जारी की है। इसे लेकर जहां 'बांग्ला भावना' के तहत आपत्ति उठने लगी है वहीं राजनीति भी शुरू हो गई है। गौरतलब है कि यह नाम परिवर्तन कोई अचानक नहीं किया गया है। गत वर्ष, सितंबर में महीने में सबसे पहले सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र के स्ट्रीट नामकरण के लिए सलाहकार समिति गठित की गई। उस समिति ने जमीनी कार्यवाही कर नए नाम प्रस्तावित किए। उस बाबत 17 अक्टूबर को सर्कुलर भी जारी किया गया। उसके तहत 17 अक्टूबर से दो सप्ताह के अंदर लोगों से नामकरण के बाबत सुझाव-आपत्ति आमंत्रित किए गए थे। मगर, तब चंपासारी मोड़ (निवेदिता चौक), चेक पोस्ट मोड़ (मुंशी प्रेमचंद स्क्वायर) व मल्लागुड़ी मोड़ (खुदीराम स्क्वायर) के प्रस्तावित नामों पर ही आपत्ति उठी तो फिर उसके नाम नहीं बदले गए। उस नाम परिवर्तन मामले को फिलहाल लंबित रखा गया है। अन्य चौराहों के नामों के परिवर्तन पर नगर निगम को कोई अहम आपत्ति नहीं मिली तो उसकी प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई। नामकरण की सलाहकार समिति ने अंतिम रूप में 26 नवंबर को नए नाम प्रस्तावित कर दिए। 17 दिसंबर को मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) मीटिंग में नए नाम मंजूर कर लिए गए। 21 दिसंबर को इसे बोर्ड मीटिंग में भी स्वीकृति मिल गई।
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