Move to Jagran APP

सिलीगुड़ी: प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुआ फूलबाड़ी बैराज, महानंदा में भी पहुंचने लगे विदेशी मेहमान

प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से फूलबाड़ी बैराज गुलजार हो उठा है। हर तरफ से उनके कलरव की आवाज सुनाई दे रही है। महानंदा के पानी में उनकी अठखेलियां देखते बन रही है। ठंड शुरू होते ही विदेशी मेहमानों का आगमन शुरू हो चुका है।

By Edited By: Updated: Wed, 30 Nov 2022 04:47 PM (IST)
Hero Image
सिलीगुड़़ी़ में पहुंचने लगेे मेहमान पक्षी। जागरण फाइल फोटो।
सिलीगुड़ी,जागरण संवाददाता। प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से फूलबाड़ी बैराज गुलजार हो उठा है। हर तरफ से उनके कलरव की आवाज सुनाई दे रही है। महानंदा के पानी में उनकी अठखेलियां देखते बन रही है। ठंड शुरू होते ही विदेशी मेहमानों का आगमन शुरू हो चुका है। फिलहाल इनकी कुछ प्रजातियां ही यहां पहुंची है। उम्मीद की जा रही है कि जैसे ही ठंड बढ़ेगी और भी कई प्रजातियों के विदेशी मेहमान यहां आ धमकेंगे।

महानंदा में भी प्रवासी पक्षियों का शुरू हुआ आगमन 

उत्तर बंगाल के अन्य जलाशयों की तरह ही सिलीगुड़ी से लगे फूलबाड़ी बैराज के पश्चिम धनतला के महानंदा नदी में भी पक्षियों का आगमन शुरू हो चुका है। प्रवासी पक्षियों को यहां का आशियाना और मौसम इतना भा गया है कि वे हर साल राजगंज के फूलबाड़ी महानंदा बैराज में पहुंचकर बैराज की शोभा बढ़ाते हैं। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही प्रवासी साइबेरियन पक्षियों का बड़ी संख्या में आगमन शुरू हो जाता है।

सर्दी के बढ़ने के साथ ही पक्षियों की भी संख्‍या बढ़ेगी

स्थानीय लोगों ने बातचीत के क्रम में बताया कि सर्दियों के मौसम में मुख्य रूप से मंगोलिया, तिब्बत, दक्षिण अफ्रीका, साइबेरिया समेत अन्य देशों से प्रवासी पक्षी आते हैं। रूडी शेल्डक, रिवर लैपविंग सहित प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के अलावा भारतीय प्रजातियों के पक्षी भी यहां आते हैं। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी प्रवासी पक्षियो की संख्या और बढ़ेगी। सर्दियों के मध्य में ये यही आस-पास के जंगलों में अंडे देते हैं और फरवरी-मार्च आते -आते इनके चूजे बड़े हो जाते हैं। सर्दी का अंत होते ही ये अपने चूजों के साथ यहां से उड़ान भरकर अपने वतन लौट जाते हैं।

पर्यावरण प्रेमियों ने की अपील 

हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन के संयोजक अनिमेष बोस ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि प्रवासी पक्षियों का आगमन शुभ संकेत है। स्थानीय स्तर पर यह प्रयास होना चाहिए कि इनका कोई शिकार न करे तथा इनके रहन-सहन में बाधा न आए। क्योंकि ये बड़े संवेदनशील जीव होते हैं। एक बार जहां से इनका मन टूट जाता है वहां ये फिर नहीं आते हैं। बताते चले कि विगत वर्षो में इनके शिकार होने या मछली पकड़ने वाले जाल में फंसकर मौत होने का मामला भी सामने आते रहा है। इसलिए पर्यावरण प्रेमियों ने इस पर खास ध्यान देने की अपील की है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।