कुश्ती समेत हर खेल का हाल पहले से बेहतर : योगेश्वर दत्त
-देश के खिलाड़ी आज दुनिया भर से बटोर ला रहे हैं मेडल पर मेडल -हर जगह खेलों के प्रशिक्षण व खिलाड़ियों
By JagranEdited By: Updated: Sat, 06 Aug 2022 08:30 PM (IST)
-देश के खिलाड़ी आज दुनिया भर से बटोर ला रहे हैं मेडल पर मेडल
-हर जगह खेलों के प्रशिक्षण व खिलाड़ियों के प्रोत्साहन को मिले और बल जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : लंदन ओलिंपिक-2012 में कुश्ती प्रतिस्पर्धा में कांस्य पदक जीत कर देश की शान बढ़ाने वाले पहलवान पद्मश्री योगेश्वर दत्त आजकल सिलीगुड़ी में हैं। वह रविवार सुबह यहां 'रन फॉर भारत कमेटी' की ओर से आयोजित 'रन फॉर भारत' को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। पुरस्कार वितरण समारोह में भी सम्मिलित होंगे। स्वतंत्रता के 75वें वर्ष की पूर्ति के उपलक्ष्य को लेकर देश भर में जारी 'आजादी का अमृत महोत्सव' की कड़ी में यह आयोजन किया गया है। सेवक रोड में एक होटल में ठहरे योगेश्वर दत्त से दैनिक जागरण के उप मुख्य संवाददाता इरफान-ए-आजम ने बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश। सवाल : योगेश्वर आपका बहुत-बहुत स्वागत है। इन दिनों क्या चल रहा है?
जवाब : इन दिनों मैं हरियाणा में अपनी योगेश्वर दत्त रेसलिंग एकेडमी चला रहा हूं। जहां हर आयु वर्ग से लगभग 100 अभ्यर्थी कुश्ती का प्रशिक्षण ले रहे हैं। उनमें चार ने तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि हासिल की है। सवाल : वाह, बहुत खूब, बधाइयां! वर्तमान समय में भारत में कुश्ती की अवस्था को किस रूप में देखते हैं?
जवाब : वर्तमान समय में भारत में केवल कुश्ती ही नहीं बल्कि हर खेल की अवस्था बेहतर हुई है। आए दिन विभिन्न खेलों में भारतीय खिलाड़ी एक से एक मेडल बटोर ला रहे हैं। यह सब खेल विकास को महत्व दिए जाने का नतीजा है। अब प्रशिक्षण के लिए आधारभूत संरचना पर काफी बल दिया जाने लगा है। उसी के चलते तस्वीर बदल रही है। सवाल : मगर, जहां तक कुश्ती की बात है तो यह क्षेत्र विशेष तक ही सीमित है, पूरे भारत में इसका वैसा विस्तार नजर नहीं आता, जबकि, भारतीय संस्कृति में कुश्ती परंपरागत है, इस बारे में क्या कहेंगे? जवाब : जी, यह सही है कि भारतीय संस्कृति में कुश्ती परंपरागत है। महाभारत काल में भी कुश्ती थी। उस समय तो मल्ल-युद्ध हुआ करता था। सो, कुश्ती की यहां अपनी एक प्राचीन परंपरा है। वहीं, यह भी सही है कि, आज पूरे भारत में सर्वत्र इसका विस्तार नजर नहीं आता। हमारे राज्य हरियाणा में इसकी काफी लोकप्रियता है। वैसे, दुनिया के हर देश में ऐसा ही है कि वहां का कोई खेल पूरे देश में भले विद्यमान हो लेकिन उसकी उच्च लोकप्रियता एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित रहती है। सवाल : आज के डिजिटल दौर में हर कोई शारीरिक खेल, क्रीड़ा, व्यायाम के बजाय मोबाइल में ही बिजी है, क्या यह भी एक कारण है कि परंपरागत खेल विशेष कर शारीरिक मेहनत वाले खेलों की ओर लोगों का रुझान कम होता जा रहा है?
जवाब : यह तो वास्तव में एक कारण है। अब पहले जैसे लोग विशेष कर नई पीढ़ी के युवा शारीरिक अभ्यास में नहीं जुटते जितना कि हमारी पीढ़ी के समय हम लोग जुटे रहते थे। मगर, यही कहूंगा कि, हर किसी को कुश्ती ही नहीं बल्कि कोई सा भी हो, शारीरिक मेहनत वाला खेल जरूर खेलना चाहिए। यह कोई मेडल बटोरने के लिए बल्कि खुद को फिट रखने के लिए भी जरूरी है। सवाल : भारत में कुश्ती व अन्य खेलों के विकास के लिए और क्या-क्या होना जरूरी मानते हैं? जवाब : एक खिलाड़ी को शुरुआत से ही प्रशिक्षण हेतु विशेषज्ञ प्रशिक्षक, बुनियादी आधारभूत संरचना, प्रोत्साहन व अन्य समस्त आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिएं। इसके लिए केंद्र व राज्य हर स्तर पर सरकार द्वारा पूरा महत्व दिया जाना चाहिए, जो कि अब दिया भी जा रहा है। इसी वजह से हालात पहले से बहुत बेहतर हुए हैं। सवाल : अपनी राजनीति के बारे में बताएं। भाजपा में शामिल होने के बाद इन दिनों क्या चल रहा है? जवाब : राजनीति एक समाजसेवा है। इसी उद्देश्य से मैं इससे जुड़ा व भाजपा में शामिल हुआ। उसी में लगा हुआ हूं। सवाल : भाजपा से ही क्यों? अन्य किसी दल से क्यों नहीं जुड़े? जवाब : यह विचारधारा की बात है। मैं एक राष्ट्रवादी हूं। इसीलिए राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा से जुड़ा। सवाल : राजनीति में आगे क्या इरादा है? क्या कोई चुनाव लड़ेंगे? जवाब : जरूर, मौका मिला तो जरूर चुनाव लड़ूंगा। वैसे यह पार्टी का मामला है। पार्टी नेतृत्व चाहेगा तो जरूर चुनाव लड़ूंगा। पार्टी को जैसा निर्देश होगा वैसा करूंगा। सवाल : भविष्य में किस रूप में याद किया जाना पसंद करेंगे? राजनीतिज्ञ या कुश्तीगीर? जवाब : मेरी पहली पहचान कुश्ती है। आज अगर राजनीति में भी हूं तो उसी की वजह से हूं। सो, मैं कुश्ती के लिए ही याद किया जाना पसंद करूंगा। उसके बाद ही किसी और रूप में। सवाल : आज के युवाओं को क्या संदेश देंगे? जवाब : यही संदेश देंगे कि, युवा जो भी करें पूरी लगन व मेहनत से करें तभी कामयाबी मिलेगी। नशा से बचें। जहां रहें प्यार से रहें। वहीं, युवा राष्ट्र प्रेम को सदा सर्वोपरि रखें। जिएं तो देश के लिए, मरें तो देश के लिए। दिल में तिरंगा व देश जरूरी है।
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