30 माह बाद खुला भूटान गेट, भूटान के प्रधानमंत्री ने बौद्धिक परंपरा व पूजा पाठ के साथ प्रवेश की घोषणा की
कोरोना महामारी के कारण करीब ढाई सालों से बंद भूटान गेट को शुक्रवार (23 सितंबर) को खोल दिया गया। ठीक आठ बजे ठीक भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने बौद्धिक परंपरा के अनुसार पूजा पाठ करने के बाद इस नए प्रवेश की घोषणा ।
By Edited By: Updated: Sat, 24 Sep 2022 03:01 PM (IST)
जयगांव (अलीपुरद्वार), संवाद सूत्र। कोरोना महामारी के कारण करीब ढाई सालों से बंद भूटान गेट को शुक्रवार (23 सितंबर) को खोल दिया गया। इस दिन सुबह छह बजे से ही भूटान और भारत दोनों देशों के लोग सीमा गेट खुलने के इंतजार में सैकड़ो की तादात में सीमा के पास पहुंचकर उस क्षण का इंतजार कर रहे थे। सुबह के समय हो रही हल्की बारिश के कारण कार्यक्रम के समय में बदलवा किया गया। इसके बाद ठीक आठ बजे ठीक भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने बौद्धिक परंपरा के अनुसार पूजा पाठ करने के बाद इस नए प्रवेश की घोषणा की।
भूटान के पीएम लोटे शेरिंग भूटान गेट खोलने से पहले परंपरा निभाते हुए। जागरण फोटो।
भूटान में यह नियम होंगे मान्य
इस मौके पर भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने कहा कि अपने देश के नागरिक के सुरक्षा के लिए यह सीमा गेट पिछले 30 महीनों से बंद था, जो आज से खुल गया। उन्होंने कहा कि आज से लोग भूटान में आवाजाही कर सकते है। पहले की तरह ही लोग भूटान के फुंशोलिग शहर में निशुल्क आवाजाही कर सकते है। हालांकि उन्हें रात को वापस भारत लौट जाना होगा। अगर वे रात को रूकते हैं तो उन्हें भूटान के पर्यटन नियम के अनुसार 1200 रुपये का भुगतान करना होगा। वहीं भूटान के दूसरे शहर जाने के लिए पर्यटकों को टूरिस्ट रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और उसके लिए 1200 रुपये रात का भुगतान करना होगा।
भूटान गेट की फाइल फोटो।
गेट के पार आते ही भावुक हुए लोग
उन्होंने कहा कि भूटान प्रवेश के लिए लोग ऑनलाइन रेजिस्ट्रेशन कर सकते है। उन्हें भूटान के भीतर प्रवेश के समय अपना वोटर कार्ड या पासपोर्ट रखना अनिवार्य है। इसी तरह बच्चों के लिए जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य है। इधर सीमा पर भारत और भूटान दोनों देशों के लोगों की भारी भीड़ देखी गई। दोनों ओर भूटान में प्रवेश करने वाले और भूटान से भारत आने वाले लोगों का स्वागत किया गया। वहीं भूटान से बाहर जयगांव आते ही कई लोगो के आंसू छलक उठे। भूटान और जयगाव का काफी पुराना संबंध हैं और इस कोरोना काल में लोग आवाजाही नहीं कर पा रहे थे। इधर आज जब वे लोग जयगांव पहुंचे, तो वह भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि जयगांव हमारा दूसरा घर है जिसे हम बहुत मिस कर रहे थे।
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