Aditya-L1 की आंखें बनाने में सिलीगुड़ी के लाल का विशेष योगदान, जन्मेजय सरकार ने पूरे शहर को किया गौरवान्वित
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ ऐसा करने वाला विश्व का पहला देश बना भारत अब सूर्य अभियान शुरू करने को है। यूआर राव उपग्रह केंद्र में निर्मित एक विशेष उपग्रह आदित्य एल-1 प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा के इसरो अंतरिक्ष केंद्र में पहुंच भी चुका है। खूब संभव है कि आगामी दो सिंतबर को इसका प्रक्षेपण किया जा सकता है।
इरफान-ए-आजम, सिलीगुड़ी। पूर्वोत्तर भारत के प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी शहर के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि भारत के महत्वाकांक्षी सूर्य अभियान में युवा वैज्ञानिक के बतौर यहां का भी एक बेटा जन्मेजय सरकार शामिल है। इसे लेकर जन्मेजय के पिता सिलीगुड़ी के वरिष्ठ पत्रकार और स्काई वाचर्स एसोसिएशन आफ नार्थ बंगाल (स्वान) के संस्थापक सचिव देबाशीष सरकार बहुत गौरवान्वित हैं। उन्होंने कहा कि बहुत अद्भुत महसूस कर रहा हूं कि कोई चीज जो मेरे बेटे ने बनाई है वह अंतरिक्ष में लगभग 15 लाख किलोमीटर यात्रा करेगी।'
अंतिम चरण में आदित्य-एल1 की तैयारी
उल्लेखनीय है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 'चंद्रयान-3' की सफल लैंडिंग के साथ ऐसा करने वाला विश्व का पहला देश बना भारत अब 'सूर्य अभियान' शुरू करने को है। इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से तमाम तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यूआर राव उपग्रह केंद्र में निर्मित एक विशेष उपग्रह 'आदित्य-एल1' प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा के इसरो अंतरिक्ष केंद्र में पहुंच भी चुका है। खूब संभव है कि आगामी दो सिंतबर को इसका प्रक्षेपण किया जा सकता है।
कैसे रखा गया आदित्य-एल1 नाम?
'आदित्य-एल1' के नामकरण में भी दिलचस्प पहलू है। वह ये कि 'आदित्य' सूर्य का पर्यायवाची है और 'लैगरेज-1' यानी 'एल-1' अंतरिक्ष में वह स्थान है जहां से बिना किसी बाधा के सूर्य की हर गतिविधि का सरलता से अध्ययन किया जा सकता है। इस महत्वपूर्ण स्थान पर अभी तक अमेरिकी स्पेस एजेंसी 'नासा' और यूरोपीय स्पेस एजेंसी 'इसा' के कृत्रिम उपग्रह ही पहुंच पाए हैं।
सिलीगुड़ी के जन्मेजय भी मिशन में शामिल
वहीं, 'आदित्य-एल1' व सिलीगुड़ी से जुड़ा एक खास पहलू यह है कि, इस विशेष उपग्रह रूपी दूरबीन की सात प्रमुख 'आंखें' (पेलोड) हैं और उनमें से एक 'आंख', 'सोलर अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोपइसे (सूट)' पेलोड जिस टीम ने बनाई है उसमें सिलीगुड़ी का लाल जन्मेजय भी शामिल है।
मिशन सफल होने पर भारत बनेगा तीसरा देश
गौरतलब है कि, 'आदित्य-एल1' मिशन सफल रहा तो यह सफलता हासिल करने वाला भारत विश्व का ऐसा तीसरा देश बन जाएगा। 'आदित्य-एल1' को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर 'एल-1' की कक्षा तक पहुंचने में चार महीने का समय लगेगा। यह मिशन सात अत्याधुनिक उपकरणों (पेलोड) से सुसज्जित होगा। चार पेलोड सीधे सूर्य का अध्ययन करेंगे, जबकि तीन अन्य गतिविधियों का अध्ययन करेंगे।
किन चीजों पर करेगा अध्य्यन?
ये सूर्य की सतह पर बनने वाले सौर धब्बों (सन-स्पॉट), सौर-वायु (सोलर-विंड), सौर-ज्वाला (सोलर-फ्लेयर) और सौर तूफान (सोलर-स्टार्म) समेत अन्य अनेक गतिविधियों व सूर्य के विविध पहलुओं का अध्ययन करेंगे। पर्यावरणीय विज्ञान के लिए बहुत प्रभावी यह मिशन केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन में से एक है।
क्या करते हैं जन्मेजय के माता-पिता?
आदित्य-एल1 मिशन से अपने बेटे के जुड़े होने को लेकर जन्मेजय की मां, पेशे से म्यूजिक टीचर पापिया सरकार भी अभिभूत हैं। उन्होंने कहा कि जन्मेजय बचपन से ही बहुत मेधावी है। अपने पिता के साथ एक तरह से जन्मजात ही 'स्वान' से जुड़ा होने के कारण उसमें खगोल विज्ञान के प्रति दिलचस्पी बढ़ती चली गई। अब इसी क्षेत्र में वह एक अच्छे मुकाम पर भी पहुंच गया है।
कहां से हुई है जन्मेजय की पढ़ाई?
उल्लेखनीय है कि, जन्मेजय ने सिलीगुड़ी के ही जर्मल्स एकेडमी से 10वीं, दिल्ली पब्लिक स्कूल से 12वीं और आचार्य प्रफुल्ल चंद्र (एपीसी) राय गवर्नमेंट कालेज से बी.एससी की। उसके बाद असम की तेजपुर यूनिवर्सिटी के फीजिक्स डिपार्टमेंट से एमएससी कर वर्तमान में वहीं पीएचडी शोधार्थी हैं। उसी के अंतर्गत इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फार एस्ट्रोनोमी एंड एस्ट्रो-फिजिक्स (आइयूसीएए-पुणे) में सीनियर रिसर्च फेल्लो के बतौर चयनित हो कर वह वर्ष 2021 से इसरो के 'आदित्य-एल1' मिशन से जुड़े हुए हैं।