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नहीं रहे ज्ञान सिंह सोहनपाल

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक ज्ञान सिंह सोहनपाल (चाचा) का निध

By JagranEdited By: Updated: Wed, 09 Aug 2017 01:06 AM (IST)
नहीं रहे ज्ञान सिंह सोहनपाल

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक ज्ञान सिंह सोहनपाल (चाचा) का निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे। उन्होंने कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में मंगलवार को अपराह्न 3.40 मिनट पर आखिरी सांस ली। बंगाल के पूर्व व लंबे समय तक विधायक व मंत्री रहे सोहनपाल के निधन पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शोक जताया और पूरी राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि करने का निर्देश दिया है। वे उम्रजनित कई तरह की बीमारियों से ग्रसित थे। उनका जन्म 11 जनवरी 1925 को हुआ था।

प्रदेश कांग्रेस नेताओं की ओर से कहा गया है कि उनका पार्थिव शरीर मंगलवार को पीस हैवेन में रखा गया है। बुधवार को पहले उनके पार्थिव शरीर को विधायक हॉस्टल ले जाया जाएगा, वहां से प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय विधान भवन रखा जाएगा जहां कांग्रेस नेता उनके अंतिम दर्शन करेंगे। इसके बाद विधानसभा ले जाया जाएगा। जहां विधायक व विस अध्यक्ष श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके गृह नगर खड़गपुर ले जाया जाएगा और वहीं उनकी अंत्येष्टि की जाएगी। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद प्रदीप भंट्टाचार्य ने कहा कि हमलोगों ने एक अभिभावक को खो दिया है। उनके निधन से रिक्त हुआ स्थान की भरपाई संभव नहीं है।

उल्लेखनीय है कि पहले उनका इलाज खड़गपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा था लेकिन बाद में उनकी स्थिति अधिक बिगड़ गई। इसके बाद उनके परिजनों ने स्थानीय नपा प्रधान से संपर्क किया मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा और ममता बनर्जी के निर्देशानुसार उन्हें एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती किया गया था। अस्पताल में उनके इलाज के लिए एक मेडिकल बोर्ड भी गठित किया गया था। तृणमूल महासचिव व राज्य के शिक्षा व संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि सीएम के निर्देशानुसार राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

ज्ञात हो कि सोहनपाल पहली बार 1962 विधायक बने थे। इसके बाद 1969 में उन्होंने अजय मुखर्जी के कैबिनेट में मंत्री भी बने। इसके बाद 1982 से 2016 फरवरी तक वे खड़गपुर से लगातार काग्रेस के विधायक निर्वाचित हुए। 2016 के बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें एक बार फिर उम्मीदवार बनाया था लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने उन्हें हरा दिया था।

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