जिस ट्रेन को करते थे इतना पसंद उसी में गुजरा जिंदगी का आखिरी पल, कंचनजंघा एक्सप्रेस हादसे के बाद घर लौटा सफेद कपड़े में कफन
कंचनजंघा एक्सप्रेस से विशेष लगाव रखने वाले कोलकाता के शिवकृष्ण दां की भी ट्रेन हादसे में मौत हो गई थी। उन्हें इस ट्रेन से काफी लगाव था। पर उन्हें क्या पता था कि जिस ट्रेन को वे इतना पसंद करते हैं उसी में उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होने जा रहा है। मंगलवार दोपहर जब सफेद कपड़े में लिपटा उनका शव घर पहुंचा तो पूरा मोहल्ला गमगीन हो उठा।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोलकाता के फूलबगान इलाके के शिवकृष्ण दां लेन के रहने वाले शंकर मोहन दास को कंचनजंघा एक्सप्रेस से विशेष लगाव था। रेलवे मेल सर्विसेज के कर्मचारी शंकर को यह ट्रेन इतनी पसंद थी कि वे इसी में ड्यूटी करना पसंद करते थे।
परिवार के सदस्यों व परिचितों को अगर उत्तर बंगाल जाना होता था तो वे कंचनजंघा एक्सप्रेस से सफर करने की सलाह देते थे। शंकर मोहन को क्या पता था कि जिस ट्रेन को वे इतना पसंद करते हैं, उसी में उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होने जा रहा है।
सफेद कपड़े में लिपटा शव पहुंचा घर
कंचनजंघा ट्रेन हादसे में जिन लोगों की मौत हुई है, शंकर मोहन उनमें से एक हैं। मंगलवार दोपहर जब सफेद कपड़े में लिपटा उनका शव घर पहुंचा तो पूरा मोहल्ला गमगीन हो उठा। स्वजनों ने बताया कि शंकर मोहन को ड्यूटी के बाबत लगभग हर सप्ताह जलपाईगुड़ी जाना पड़ता था।
घरवालों से फोन पर आखिरी बातचीत
सोमवार सुबह वे कंचनजंघा एक्सप्रेस से कोलकाता लौट रहे थे। वे ट्रेन के पार्सल वैन में सवार थे। ट्रेन में चढ़ने के बाद उन्होंने घरवालों से फोन पर बातचीत की थी। उसके कुछ देर बाद ही हादसा हो गया। हादसे की खबर मिलने पर घरवालों ने उनसे फोन पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन विफल रहे। इसके बाद शंकर मोहन का छोटा बेटा सिलीगुड़ी पहुंचा और उत्तर बंगाल मेडिकल कालेज अस्पताल जाकर पिता के शव की शिनाख्त की।
शंकर मोहन का शव लेकर कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम कोलकाता स्थित उनके घर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि शव को घर पहुंचाने के लिए रेलवे की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई। उनका कोई अधिकारी भी साथ में नहीं आया। राज्य सरकार के प्रयास से शव को लाया गया है।
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