Bengal Vidhan Sabha Chunav: TMC को एक और झटका, सुवेंदु व जितेंद्र के बाद विधायक शीलभद्र ने भी छोड़ी पार्टी
Bengal Vidhan Sabha Chunav पार्टी के एक और बागी नेता व तृणमूल विधायक शीलभद्र दत्ता ने भी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शुक्रवार सुबह अपना इस्तीफा पत्र भेज दिया है। हालांकि दत्ता ने फिलहाल विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है।
By Preeti jhaEdited By: Updated: Fri, 18 Dec 2020 01:46 PM (IST)
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। Bengal Vidhan Sabha Chunav: बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। पार्टी को एक के बाद एक बड़े झटके लग रहे हैं और कद्दावर नेता ममता बनर्जी का साथ छोड़ रहे हैं। सबसे बड़ा झटका तृणमूल को उस समय लगा जब कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी ने गुरुवार को पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ ही घंटे बाद पांडेश्वर के विधायक व पश्चिम बर्धमान जिला तृणमूल के अध्यक्ष जितेंद्र तिवारी ने भी ममता बनर्जी को अपना इस्तीफा भेज दिया।
इस बीच शुक्रवार को पार्टी के एक और बागी नेता व बैरकपुर से तृणमूल विधायक शीलभद्र दत्ता ने भी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शुक्रवार सुबह अपना इस्तीफा पत्र भेज दिया है। हालांकि दत्ता ने फिलहाल विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है।
गौरतलब है कि मुकुल राय के करीबी माने जाने वाले दत्ता काफी लंबे समय से तृणमूल के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए हुए थे। आखिरकार उन्होंने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। बताते चलें कि लगातार हो रहे इस्तीफों के बीच तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को पार्टी की एक आपातकालीन बैठक भी बुलाई है। इस बैठक में पार्टी की आगे की रणनीति को लेकर चर्चा की जाएगी और लगातार हो रहे इस्तीफों को लेकर रणनीति तय की जाएगी।
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी ने गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस के साथ अपना 20 साल का रिश्ता तोड़ लिया। उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। इससे एक दिन पहले बुधवार को उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, पिछले महीने 27 नवंबर को उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था। सुवेंदु पिछले कुछ समय से पार्टी नेतृत्व के साथ लगातार दूरी बनाकर चल रहे थे। हालांकि उन्हें मनाने की तृणमूल ने पूरी कोशिश की लेकिन बात नहीं बनीं।
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