TMC की शहीद दिवस रैली कल, एक मंच पर नजर आएंगे ममता और अखिलेश; बड़ा एलान संभव
Trinamool Shaheed Diwas Rally पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस रविवार को शहीद दिवस रैली आयोजित करेगी। इसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हिस्सा लेंगे। अखिलेश यादव और ममता बनर्जी पर सबकी निगाहें हैं। उम्मीद है कि इस मंच से दोनों नेता कुछ बड़ा एलान कर सकते हैं। विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने अखिलेश यादव के लिए प्रचार किया था।
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी रविवार को कोलकाता में पार्टी की वार्षिक शहीद दिवस रैली को संबोधित करेंगी। लोकसभा (लोस) व विधानसभा (विस) उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद यह रैली होने जा रही है। ममता हर साल शहीद दिवस रैली के मंच से पार्टी की रणनीति की घोषणा करती हैं। साथ ही केंद्र सरकार व राज्य में विरोधी दलों पर जोरदार निशाना साधती हैं।
यह भी पढ़ें: ‘दुकानों पर नाम’ वाले आदेश पर मौलाना ने किया योगी सरकार का समर्थन, अखिलेश यादव को दी नसीहत
रैली में शामिल होंगे अखिलेश यादव
सियासी विश्लेषकों का कहना है कि ममता अबकी बार पार्टी के नेता-कार्यकर्ताओं को लोस व विस उपचुनाव में मिली जबरदस्त सफलता को 2026 के विस चुनाव में दोहराने का मंत्र देंगी। राष्ट्रीय राजनीति को लेकर उनके रूख पर भी सबकी नजर होगी। मालूम हो कि रैली में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शामिल होंगे।
क्या बड़ा संदेश देंगे अखिलेश?
दोनों एक मंच पर आकर आईएनडीआईए गठबंधन की एकजुटता दिखाएंगे। मालूम हो कि अखिलेश के साथ ममता के बेहद अच्छे संबंध हैं। उन्हें कई मौकों पर एक साथ देखा गया है। ममता ने पिछले उत्तर प्रदेश विस चुनाव में अखिलेश के लिए प्रचार किया था। वहीं हालिया संपन्न लोस चुनाव में अखिलेश ने उत्तर प्रदेश की भदोही सीट तृणमूल प्रत्याशी के लिए छोड़ी थी। सूत्रों के मुताबिक अखिलेश ने खुद ममता को फोन करके शहीद दिवस रैली में शामिल होने की इच्छा जताई थी। अखिलेश मंच से आईएनडीआईए के लिए कोई बड़ा संदेश जारी कर सकते हैं।
क्या है टीएमसी का शहीद दिवस?
मालूम हो कि ममता के नेतृत्व में 21 जुलाई, 1993 को कोलकाता में फोटो युक्त मतदाता पहचान पत्र की मांग को लेकर प्रदर्शन हुआ था। उस दौरान हुई पुलिस फायरिंग में 13 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी। उन्हीं के स्मरण में ममता हर साल 21 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाती हैं। ममता उस समय कांग्रेस की नेता थीं और बंगाल में माकपा के नेतृत्व वाली वाममोर्चा सरकार का शासन था।
यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में दोनों गठबंधनों के लिए सिरदर्द बनेगी SP, अखिलेश यादव की लीडरशिप में पार्टी ने बनाया ये मास्टरप्लान