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दुष्कर्म के बाद हत्या तो 10 दिन में फांसी, गैंगरेप में आखिरी सांस तक उम्रकैद; जानिए क्या है अपराजिता बिल?

आरजी कर की जघन्य घटना के खिलाफ हो रहे लगातार विरोध प्रदर्शनों के बीच ममता सरकार ने महिलाओं के साथ दुष्कर्म और दूसरे यौन अपराधों में कानून को सख्त करने और कठोर दंड देने के लिए यह विधेयक पारित कराया है। राज्य सरकार का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य सख्त सजा का प्रावधान कर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करना है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 03 Sep 2024 04:12 PM (IST)
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विधानसभा में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। (फोटो- एएनआई)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कोलकाता के सरकारी आरजी अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म व हत्या की घटना के मद्देनजर बंगाल विधानसभा ने दुष्कर्म के मामलों में दोषियों को त्वरित व सख्त सजा देने से संबंधित एक संशोधन विधेयक मंगलवार को सर्वसम्मति से पारित किया। इस विधेयक में दुष्कर्म व हत्या के दोषियों को 10 दिनों के अंदर मृत्युदंड (फांसी) की सजा सुनिश्चित करने का प्रावधान है।

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21 दिन में पूरी करनी होगी जांच

दुष्कर्म विरोधी इस विधेयक का नाम- अपराजिता वुमन एंड चाइल्ड (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून व संशोधन) बिल 2024 है। इस विधेयक के तहत दुष्कर्म के मामलों की जांच 21 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी, जो पहले दो महीने की समय सीमा से कम है। राज्य में मुख्य विपक्षी भाजपा के विधायकों ने भी इस विधेयक का पूर्ण समर्थन किया।

अपराजिता विधेयक में क्या-क्या प्रावधान?

विधेयक में दुष्कर्म व हत्या के मामले में दोषियों के लिए 10 दिनों में मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है। साथ ही दोषी के परिवार पर आर्थिक जुर्माना का भी प्रावधान है। इसके अतिरिक्त दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोषियों को अंतिम सांस तक उम्रकैद की सजा दी जाएगी। दुष्कर्मियों को शरण देने या सहायता देने वालो के लिए भी तीन से पांच साल की कठोर कैद की सजा का प्रावधान भी है।

राज्यपाल के पास भेजा जाएगा विधेयक

राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने इस विधेयक को पेश किया। दो घंटे की चर्चा के बाद विधेयक पारित हो गया। इस विधेयक को आज ही हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास भेज दिया जाएगा। इस विधेयक को पारित कराने के लिए ही विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था, जिसका आज आखिरी दिन था।

भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं में संशोधन

विधेयक में हाल ही में देश में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता अधिनियम 2023 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन किया गया है। बीएनएस की विभिन्न धाराओं 64, 66, 70 (1), 71, 72 (1), 73, 124 (1) और 124 (2) में संशोधन किया गया है। ये धाराएं दुष्कर्म, दुष्कर्म व हत्या, सामूहिक दुष्कर्म, पीड़िता की पहचान उजागर करने और एसिड का इस्तेमाल कर चोट पहुंचाने जैसे अपराधों की सजा से संबंधित हैं।

भाजपा ने मांगा ममता का इस्तीफा

भाजपा विधायकों ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन आरजी कर की जघन्य घटना को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग पर सदन में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने इस विधेयक में कुछ संशोधन का भी प्रस्ताव दिया। जिस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आश्वस्त किया कि अध्ययन के बाद इस पर विचार किया जाएगा।

अपराजिता टास्क फोर्स के गठन का भी प्रस्ताव

विधेयक में यौन अपराधों के लिए जांच और अभियोजन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव करने की बात है। जांच प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। जांच में तेजी लाने और पीड़ित के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर अपराजिता टास्क फोर्स नामक एक विशेष कार्य बल के गठन का भी सुझाव दिया गया है। इसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक करेंगे। ये कार्यबल अपराधों की जांच के लिए जिम्मेदार होगा।

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