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Kolkata Doctor Case: 'बंगाल सरकार ने नहीं लागू की महिला हेल्प लाइन सुविधा,' केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी की CM ममता को फटकार

कोलकाता में महिला डाक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना को लेकर घिरी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल में प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर महिला सुरक्षा के लिए कड़े कानून और फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने की जरूरत बताई थी। लेकिन सच्चाई यह है कि खुद उनकी सरकार ही फास्ट ट्रैक कोर्ट के मामले में हाथ पर हाथ रखे बैठी रही।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Mon, 26 Aug 2024 11:45 PM (IST)
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अन्नपूर्णां देवी ने ममता को दिया करारा जवाब (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोलकाता में महिला डाक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना को लेकर घिरी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल में प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर महिला सुरक्षा के लिए कड़े कानून और फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने की जरूरत बताई थी। लेकिन सच्चाई यह है कि खुद उनकी सरकार ही फास्ट ट्रैक कोर्ट के मामले में हाथ पर हाथ रखे बैठी रही।

केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णां देवी ने ममता को जवाब देते हुए याद दिलाया कि महिलाओं से अपराधों के त्वरित निपटारे के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने में पश्चिम बंगाल सरकार किस कदर उदासीन और सुस्त रही है।

2019 में 123 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का लक्ष्य

2019 में 123 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का लक्ष्य दिया गया था जिसमें 2023 तक एक भी नहीं बना पाई। पिछले साल राज्य को 17 विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का लक्ष्य दिया गया था और पैसा भी। लेकिन अब तक राज्य सरकार छह कोर्ट ही स्थापित कर पाई है।

इतना ही नहीं केंद्र से बार बार याद दिलाने के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार ने महिला हेल्प लाइन सुविधा लागू नहीं की। ममता बनर्जी ने गत 22 अगस्त को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। जिसमें ममता बनर्जी ने कड़े केंद्रीय कानून और विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जरूरत बताई थी। अन्नपूर्णां देवी ने जवाबी पत्र में आंकड़ों के साथ जो कहा उसके बाद राज्य सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा हो सकती है।

आजीवन कारावास और मृत्युदंड की सजा का है प्रावधान

अन्नपूर्णा ने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराधों से निपटने के लिए भारतीय न्याय संहिता 2023 में कड़े प्रविधान हैं। यौन अपराधों और दुष्कर्म में आजीवन कारावास और मृत्युदंड तक की कड़ी सजा है। ऐसे अपराधों के जल्दी निपटारे के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने की केंद्र पोषित योजना है जो 60-40 की हिस्सेदारी पर आधारित है। योजना अक्टूबर 2019 में शुरू हुई थी।

30 जून 2024 तक कुल 752 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित हो चुकी हैं जिसमें 409 विशेष रूप से बच्चों के प्रति यौन अपराध के पोक्सो कोर्ट हैं। ये कोर्ट 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों हैं जिनमें स्थापना से लेकर अभी तक कुल 253000 केस निपटाए गए हैं। इसमें पश्चिम बंगाल को 123 विशेष फस्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने थे जिसमें 20 विशेष पोक्सो और 103 बाकी मिलेजुले फास्ट ट्रैक कोर्ट थे। लेकिन पिछले साल जून मध्य तक पश्चिम बंगाल में एक भी विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित हुए। आठ जून 2023 को पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र को चिट्ठी लिख कर योजना को रिवाइज करने का अनुरोध करते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने की इच्छा जताई थी। तब पश्चिम बंगाल को 17 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का लक्ष्य दिया गया जिसमें 30 जून 2024 तक सिर्फ छह विशेष पोक्सो कोर्ट स्थापित किये गए हैं बाकी के 11 फास्ट ट्रैक विशेष कोर्ट अभी भी स्थापित नहीं हुए जबकि राज्य में दुष्कर्म और पोक्सो के 48600 केस लंबित हैं।

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