Bengal Government: दीदी की सरकार पर पीएम मोदी मेहरबान, 48 घंटे में केंद्र से बंगाल को मिले 1,647 करोड़ रुपये
पिछले 48 घंटे में केंद्र सरकार से बंगाल की ममता सरकार को 1647 करोड़ रुपये मिले हैं। 15वें वित्त आयोग से मंगलवार को राज्य कोष में 651 करोड़ रुपये पहुंचे थे। इसके बाद मोदी सरकार ने गुरुवार को फिर 996 करोड़ रुपये भेजे। नबन्ना सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने यह रुपये जल्द ही पंचायतों और नगर पालिकाओं को भेजने को कहा है।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 24 Aug 2023 07:21 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पिछले 48 घंटे में केंद्र सरकार से बंगाल की ममता सरकार को 1,647 करोड़ रुपये मिले हैं। 15वें वित्त आयोग से मंगलवार को राज्य कोष में 651 करोड़ रुपये पहुंचे थे। इसके बाद मोदी सरकार ने गुरुवार को फिर 996 करोड़ रुपये भेजे। नबन्ना सूत्रों के मुताबिक, केंद्र ने यह रुपये जल्द ही पंचायतों और नगर पालिकाओं को भेजने को कहा है। अन्यथा राज्य सरकार को अतिरिक्त ब्याज देना होगा।
एक साल में 60 फीसदी करने होंगे खर्च
राज्य सचिवालय नवान्न सूत्रों के मुताबिक, केंद्र ने राज्य सरकार से कहा है कि अगर इस फंड का 60 प्रतिशत हिस्सा एक साल के भीतर खर्च किया जा सके, तो बंगाल को दोबारा आवंटन मिलेगा। कई जिले 15वें वित्त आयोग से पहले आए रुपये खर्च नहीं कर पाए हैं। यह आंकड़ा कमोबेश 2,500 करोड़ रुपये का है। मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी ने जिला प्रशासन को इसे शीघ्र खर्च करने का निर्देश दिया है।
जिला प्रशासन द्वारा रुपये खर्च करने में उदासीन रवैया नया नहीं है। यह वामपंथ के दौर में भी था। यह भी देखा गया है कि रुपये मिलके के बाद वापस दिल्ली चला गया है। कई लोगों के मुताबिक ऐसी घटनाएं तभी होती हैं, जब कोई प्रशासन बिना योजना के चलता है। नवान्न इस बार इसे ठीक करना चाहता हैं।
केंद्र सरकार के खिलाफ ममता के कई आरोप
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की शिकायत है कि केंद्र ने 100 दिन के काम समेत कई परियोजनाओं का बंगाल का बकाया रोक रखा है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने दो अक्टूबर को दिल्ली में धरना देने की योजना बनाई है। 21 जुलाई को ममता के भतीजे व तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने मंच से कार्यक्रम की घोषणा की थी।
कुछ दिन पहले ममता ने कहा था कि अगर छात्रों और युवाओं का कोई कार्यक्रम होगा, तो भी वह दिल्ली जाएंगी। मुख्यमंत्री का यह भी कहना है कि केंद्रीय उपेक्षा के कारण राज्य को अपने रुपये से काम करना पड़ता है। ऐसे में कई लोगों के मुताबिक, पैसा आना राज्य सरकार के लिए राहत की बात नहीं है। अब नवान्न का मुख्य लक्ष्य यह है कि पैसा जल्दी खर्च किया जा सके।