Bengal: कमाने वाली पत्नी की आय की परिवार के अन्य सदस्यों की आय से नहीं की जा सकती तुलना- हाई कोर्ट
एमएसीटी ने सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से जख्मी हुई प्रतिमा के मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया था। एमएसीटी का तर्क था कि मुआवजा केवल तभी दिया जा सकता है जब पीड़ित अथवा पीड़िता की मासिक आय 3000 रुपये से कम हो। प्रतिमा साहू को मुआवजा नहीं दिया जा सकता क्योंकि उसकी मासिक आय 4000 रुपये है।
By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Thu, 28 Sep 2023 08:34 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि कमाने वाली पत्नी की आय को परिवार के अन्य सदस्यों की आय के समान नहीं माना जा सकता क्योंकि वह कमाई के अलावा विभिन्न जिम्मेदारियां भी निभाती है। न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की एकल पीठ मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) के आदेश को चुनौती देने वाली प्रतिमा साहू नामक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
एमएसीटी का तर्क
एमएसीटी ने सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से जख्मी हुई प्रतिमा के मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया था। एमएसीटी का तर्क था कि मुआवजा केवल तभी दिया जा सकता है, जब पीड़ित अथवा पीड़िता की मासिक आय 3,000 रुपये से कम हो। प्रतिमा साहू को मुआवजा नहीं दिया जा सकता क्योंकि उसकी मासिक आय 4,000 रुपये है। गुरुवार को मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ने कहा-'कमाने वाली पत्नी की आय को परिवार के अन्य सदस्यों की आय से तुलना अनुचित है।
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कमाने वाली पत्नी की जिम्मेदारी
न्यायमूर्ति ने कहा आगे कहा कि ऐसे मामलों में आय प्रमाणपत्र मांगना भी अप्रत्याशित है। हम सभी को याद रखना चाहिए कि कमाने वाली पत्नी की जिम्मेदारी यहीं तक सीमित नहीं है। उसपर खाना पकाने, घर की सफाई करने सहित पूरे परिवार की जिम्मेदारी होती है। उसे घर और दूसरों की देखभाल करनी पड़ती है। इतनी सारी जिम्मेदारियां संभालने के बाद वह कमाती है इसलिए उसकी आय किसी अन्य से तुलनीय नहीं है।
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