Bengal: विधायकों की शपथ को लेकर स्पीकर और राज्यपाल के बीच 'पत्र युद्ध', विधानसभा अध्यक्ष ने तकरार पर जताई नाराजगी
West Bengal विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों की शपथ को लेकर राजभवन और विधानसभा में पत्र युद्ध शुरू हो गया है। विधानसभा स्पीकर ने गुरुवार को राज्यपाल को एक लंबी चिट्ठी भेजकर शपथ को लेकर शुरू हुई तकरार पर नाराजगी जताई है। टकराव की स्थिति के बाद संसदीय कार्य विभाग ने शपथ ग्रहण को लेकर चुप्पी साध ली है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों की शपथ को लेकर राजभवन और विधानसभा में 'पत्र युद्ध' शुरू हो गया है। विधानसभा स्पीकर ने गुरुवार को राज्यपाल को एक लंबी चिट्ठी भेजकर शपथ को लेकर शुरू हुई तकरार पर नाराजगी जताई है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, राजभवन और स्पीकर के बीच टकराव में जो स्थिति उत्पन्न हुई, उसके बाद संसदीय कार्य विभाग ने शपथ ग्रहण को लेकर चुप्पी साध ली है। संसदीय कार्य विभाग के बजाय, विधानसभा सचिवालय ने राज्यपाल की शपथ ग्रहण की मंजूरी देने के लिए एक पत्र भेजा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का दिया हवाला
लेकिन विधानसभा तक पहुंचे राजभवन के जवाब से गुत्थी नहीं सुलझी, बल्कि स्पीकर ने इस संबंध में नियमों का हवाला देते हुए राज्यपाल को जवाबी पत्र भेजा है। इस पत्र में बिमान ने सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों का हवाला देते हुए शपथ पर 'संवैधानिक प्रथा' को 'संवैधानिक कानून' के रूप में मान्यता देने का अनुरोध किया है।
शपथ के अनुरोध वाले विधानसभा के पहले पत्र के जवाब में राजभवन ने दो दिन पहले पत्र भेजकर तीन जानकारियां मांगी थीं। पत्र में शपथ के बारे में कुछ भी जिक्र नहीं किया गया। पत्र में विधानसभा में सबसे उम्रदराज़ महिला विधायक, सबसे उम्रदराज अनुसूचित और आदिवासी विधायक और इस समय सबसे कम उम्र के विधायक का नाम बताने को कहा गया था। उस पत्र के मिलने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सीधे इस मामले में हस्तक्षेप किया।
स्पीकर ने राजभवन के पत्र को बताया अपमानजनक
राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में स्पीकर ने विधानसभा और राजभवन की अलग-अलग संवैधानिक स्थिति की याद दिलाई है। स्पीकर ने राजभवन की ओर से भेजे गए पत्र को 'अपमानजनक' बताया। उन्होंने यह भी लिखा कि शपथ नहीं ले पाने के कारण निर्वाचित प्रतिनिधि अपने ही केंद्र के लोगों की सेवा नहीं कर पा रहे हैं। नतीजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। राज्यपाल को इस स्थिति पर विचार करना चाहिए और जल्द से जल्द शपथ ग्रहण प्रक्रिया पूरी हो इसमें उचित भूमिका निभानी चाहिए।