Bengal News: कोलकाता के कालेज में कटे-फटे वस्त्र पहनकर आने पर रोक को लेकर शुरू हुआ विवाद
इस शपथ पत्र पर एक तरफ छात्र-छात्राओं के हस्ताक्षर की जगह है और दूसरी तरफ उनके अभिभावकों की। शपथ पत्र का मसौदा कालेज प्रबंधन ने ही तैयार किया है। कालेज के अध्यक्ष पूर्णचंद्र माइती ने बताया कि यह पहल मोरल पुलिसिंग का हिस्सा है और इसका एकमात्र उद्देश्य कालेज परिसर में शिक्षा का वातावरण बनाए रखना है। इसे इस सत्र से लागू किया जा रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Thu, 31 Aug 2023 06:35 PM (IST)
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। महानगर के आचार्य जगदीश चंद्र बोस कालेज में छात्र-छात्राओं के फैशन वाले कटे-फटे वस्त्र पहनकर आने पर रोक लगाए जाने को लेकर विवाद पैदा हो गया है। कालेज में दाखिले के समय छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों से अनिवार्य रूप से शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कराया जा रहा है। शपथ पत्र में लिखा है-'हम कसम खाते हैं कि कालेज परिसर में कभी कटी-फटी या अशोभनीय जींस पहनकर नहीं आएंगे। हम परिसर में सदैव फार्मल ड्रेस ही पहनेंगे।'
शपथ पत्र का मसौदा
इस शपथ पत्र पर एक तरफ छात्र-छात्राओं के हस्ताक्षर की जगह है और दूसरी तरफ उनके अभिभावकों की। शपथ पत्र का मसौदा कालेज प्रबंधन ने ही तैयार किया है। कालेज के अध्यक्ष पूर्णचंद्र माइती ने बताया कि यह पहल मोरल पुलिसिंग का हिस्सा है और इसका एकमात्र उद्देश्य कालेज परिसर में शिक्षा का वातावरण बनाए रखना है। यह व्यवस्था पिछले साल की गई थी लेकिन इसे इस सत्र से लागू किया जा रहा है।
बेढंगे कपड़ों माहौल खराब होता है: पूर्णचंद्र माइती
कालेज परिसर में छात्र-छात्राओं के कटे-फटे जींस व बेढंगे कपड़ों में देखा जा रहा है। इससे माहौल खराब होता है। कालेज प्रबंधन आगे किसी भी छात्र-छात्रा को इस तरह के वस्त्र पहनकर कालेज में प्रवेश करने देने के पक्ष में नहीं है। अगर कोई नए नियमों का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कालेज प्रबंधन किसी की स्वतंत्रता में बाधक नहीं बनना चाहता, लेकिन किसी को कालेज परिसर में अभद्रता करने की भी अनुमति नहीं दी जा सकती।मोरल पुलिसिंग पर विशेष रूप से दिया गया जोर
उल्लेखनीय है कि कालेज में गत सात अगस्त से नए सेमेस्टर की शुरूआत हुई है। कालेज प्रबंधन ने दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं के साथ ही कालेज के कर्मचारियों के लिए कुछ नए नियम बनाए हैं, जिसमें मोरल पुलिसिंग पर विशेष रूप से जोर दिया गया है। छात्र-छात्राओं के एक वर्ग ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे अपने मौलिक अधिकारों का हनन बताया है। वे इसके विरुद्ध आंदोलन छेडऩे की भी तैयारी कर रहे हैं।
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