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Bengal: पूर्वोत्तर राज्य की हिंसा को लेकर पूर्वी कमान के लेफ्टिनेंट ने जताई चिंता, कहा- अस्थिरता और हथियारबंद समूहों का पड़ा दुष्प्रभाव

विजय दिवस के अवसर पर भारतीय सेना की पूर्वी कमान ने आज कोलकाता के फोर्ट विलियम में स्थित विजय स्मारक पर 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया है। सेना के पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने कहा कि म्यांमार में अस्थिरता के कारण पूर्वोत्तर राज्यों पर गहरा असर पड़ा रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Shalini KumariUpdated: Sat, 16 Dec 2023 04:51 PM (IST)
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सेना के पूर्वी कमान ने मनाया विजय दिवस

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सेना के पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने शनिवार को कहा कि मणिपुर में युद्धरत समूहों के पास बड़ी संख्या में हथियारों की उपलब्धता और पड़ोसी देश म्यांमार में अस्थिरता का संघर्षग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य की स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

फोर्ट विलियम में आयोजित हुआ कार्यक्रम

कलिता ने कहा कि सेना और असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस और वहां तैनात केंद्रीय अद्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) के साथ मिलकर राज्य में हिंसा को काफी हद तक नियंत्रित करने में सक्षम हुई है। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच गत कई महीनों के तनाव एवं संघर्ष की स्थिति है। सेना के पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल कलिता शनिवार को 52वें विजय दिवस के अवसर पर यहां पूर्वी कमान मुख्यालय फोर्ट विलियम में विजय स्मारक पर आयोजित पुष्पांजलि समारोह के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे।

काफी हद तक नियंत्रित हुई संघर्षग्रस्त राज्य की हिंसा

इस दौरान कलिता ने कहा कि दोनों समुदायों के पास बड़ी संख्या में हथियारों की उपलब्धता और सीमा पार म्यांमार में अस्थिरता का मणिपुर की स्थिति पर खासा प्रभाव पड़ा है। सैन्य कमांडर ने कहा कि संघर्षग्रस्त राज्य में हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं होने की आशंका है, लेकिन सेना और असम राइफल्स का उद्देश्य ऐसी घटनाओं को काफी हद तक नियंत्रित करना है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा शांति और सुलह प्रक्रिया चलाई जा रही है, हमारा ध्यान हिंसा को कम करने पर रहा है।

मणिपुर हिंसा के समाधान की सीमा बता पाना मुश्किल

कलिता ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए कोई समय सीमा बताना मुश्किल है, क्योंकि इसमें कई ऐतिहासिक और विरासती मुद्दे जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि सेना और असम राइफल्स को इस साल तीन मई को मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हुई झड़पों के बाद बुलाया गया था और वे कुछ समय बाद ही कानून और व्यवस्था स्थापित करने और स्थिति पर नियंत्रण स्थापित करने में सक्षम थे।

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1971 के युद्ध में पूर्वी कमान की अहम भूमिका

इस अवसर पर विजय दिवस समारोह में हिस्सा लेने आए 30 मुक्ति योद्धाओं, सेवारत बांग्लादेश सेना के अधिकारियों और परिवार के सदस्यों सहित 72 सदस्यीय बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल को बधाई देते हुए कलिता ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत से न केवल एक नए राष्ट्र का जन्म हुआ, बल्कि दक्षिण एशिया की भू-राजनीति भी बदल गई।

उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में पूर्वी कमान सबसे आगे थी, इसलिए विजय दिवस कमान के इतिहास में गौरव का विशेष स्थान रखता है।

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