Bengal: बाल विवाह रोकने के लिए आयोग की नई पहल, सरकारी अस्पताल जाकर नाबालिग गर्भवतियों का पता कर रहे अधिकारी
बंगाल में बाल विवाह के ताजा आंकड़े जुटाने के लिए पश्चिम बंगाल बाल अधिकार सुरक्षा आयोग के प्रतिनिधि सरकारी अस्पतालों में जाकर नाबालिग गर्भवतियों के बारे में पता कर रहे हैं। इसकी शुरुआत मालदा व मुर्शिदाबाद से की गई है। इन दोनों जिलों में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि नाबालिग गर्भवतियों के भर्ती होने पर वे प्रशासन को सूचित करे।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में बाल विवाह के ताजा आंकड़े जुटाने के लिए तेजी से काम कर रही है। दरअसल, अब पश्चिम बंगाल बाल अधिकार सुरक्षा आयोग के प्रतिनिधि सरकारी अस्पतालों में जाकर नाबालिग गर्भवतियों के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
दो जिलों में सबसे अधिक मामले
इसकी शुरुआत मालदा व मुर्शिदाबाद से की गई है, जहां बाल विवाह के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। अब तक मिले तथ्यों के मुताबिक इन दो जिलों के सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए भर्ती होने वाली गर्भवतियों में से 30 प्रतिशत नाबालिग हैं।
बाल विवाह रोकने के लिए उठाए जाएंगे ठोस कदम
आयोग सूत्रों ने बताया कि इस पहल से आने वाले समय में बाल विवाह रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकेंगे। आयोग की पूर्व चेयरपर्सन व वर्तमान में परामर्शदात्री अनन्या चक्रवर्ती ने कहा कि यह अभियान काफी सावधानी से चलाया जा रहा है।
अधिक सक्रियता दिखाने पर संस्थागत प्रसव कम होने की आशंका है। नाबालिग गर्भवतियां कार्रवाई के भय से प्रसव कराने के लिए अस्पताल में भर्ती होने से परहेज करेंगी, जिससे घरों में प्रसव को बढ़ावा मिलेगा। इसमें जान का जोखिम अधिक है।
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सरकारी अस्पतालों को दिया गया खास निर्देश
इस पहल के जरिए बाल विवाह की अधिकता वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां जागरुकता अभियान चलाने व कार्यशालाओं के माध्यम से लोगों को समझाने का प्रयास किया जाएगा। सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि नाबालिग गर्भवतियों के भर्ती होने पर वे चुपचाप प्रशासन को इस बारे में सूचित करे।
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