Kolkata: मुश्किलों में घिरती जा रही सांसद महुआ मोइत्रा, TMC ने बनाई दूरी; ये हैं अहम कारण
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा लगातार विवादों में घिरती हुईं नजर आ रही हैं। संसद में प्रश्न पूछने के लिए एक उद्योगपति से मोटी रकम और उपहार लेने के आरोप में घिरने के बाद पार्टी महुआ मोइत्रा से पूरी तरह दूरी बना रखी है। सूत्रों ने कहा कि नदिया जिला नेतृत्व के एक वर्ग की ओर से पहले से ही मोइत्रा के खिलाफ शिकायतें मिली थीं।
By Jagran NewsEdited By: Shalini KumariUpdated: Sun, 22 Oct 2023 04:24 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। संसद में प्रश्न पूछने के लिए एक उद्योगपति से मोटी रकम और उपहार लेने के आरोप में घिरने के बाद से तृणमूल कांग्रेस अपनी लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा से पूरी तरह दूरी बना रखी है।
तृणमूल के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता कुणाल घोष साफ कर चुके हैं कि महुआ के मामले में पार्टी कोई टिप्पणी नहीं करेगी। संबंधित व्यक्ति ही इस पर जवाब देगा। विवाद की शुरुआत से ही स्पष्ट था कि तृणमूल नेतृत्व इस मामले में कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता और सावधानी से आगे बढ़ना चाहता है।
मोइत्रा हुईं अपनी ही पार्टी में अलग-थलग
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ऐसे कई अहम कारण हैं जिन्होंने मोइत्रा को अपनी ही पार्टी में अलग-थलग कर दिया है। पहला कारण मोइत्रा ने अब तक खुद को एक दबंग चेहरे के रूप में पेश किया है और आरोप सामने आने के बाद दावा किया कि वह किसी भी तरह की पूछताछ का सामना करने के लिए तैयार हैं, चाहे वह संसद की आचार समिति से हो या सीबीआई।राशन वितरण घोटाला में फंसी
दूसरा, कारक यह है कि ऐसे समय में जब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और राज्य सरकार पहले से ही यहां स्कूल की नौकरियों, नगर पालिकाओं की नौकरियों, कोयला और पशु तस्करी जैसे कई कथित घोटालों से घिरी हुई है, जिसमें नवीनतम राशन वितरण घोटाला भी है। इसमें महुआ का मुद्दा पार्टी नेतृत्व के लिए एक अतिरिक्त बोझ बन गया है।इसके पहले महुआ द्वारा मां काली पर दिए गए विवादित बयान को लेकर उपजे विवाद के दौरान तृणमूल नेतृत्व ने उन्हें चेताया था और कहा था कि भविष्य में इस तरह की कोई बयानबाजी न करें। ऐसी स्थिति में पर्यवेक्षकों का मानना है कि नेतृत्व ने इस मुद्दे से खुद को दूर रखना और महुआ को अपनी लड़ाई लड़ने देना ही बुद्धिमानी समझा होगा।
अदानी समूह के निवेश की संभावना
पर्यवेक्षकों के अनुसार, एक और महत्वपूर्ण कारक बंगाल में अदानी समूह द्वारा भविष्य में निवेश की संभावना के बारे में है। पिछले साल अप्रैल में, बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में अदानी समूह के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अदानी ने राज्य को एक आदर्श निवेश गंतव्य बताते हुए अगले कुछ वर्षों में बंगाल में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया था।अदानी समूह ने ताजपुर में पोर्ट बनाने के लिए बंगाल सरकार के साथ करार भी किया, जिससे लगभग 25,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने का दावा किया गया था। हालांकि यह एक अलग सवाल है कि प्रस्तावित निवेश वास्तव में कब फलीभूत होंगे।
यह देखते हुए कि मुख्य रूप से राज्य सरकार की भूमि और एसईजेड नीतियों के कारण बंगाल एक पसंदीदा निवेश गंतव्य नहीं है,सत्तारूढ़ दल वास्तव में वादा किए गए निवेश की क्षमता को खतरे में नहीं डाल सकता है। इसलिए इस दृष्टिकोण से, तृणमूल नेतृत्व ने पार्टी के एक लोकसभा सदस्य से जुड़े मामले से खुद को दूर रखना ही बुद्धिमानी समझा है।यह भी पढ़ें: West Bengal: 'पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल की जाए 87 जातियां', NCBC ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस
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